रब का निवास

 

जहाँ प्यार और श्रद्धा,

रब का वही निवास ।

स्वर्ग वही है भाईयों,

वही एक है  खास ।।

प्यार   और   श्रद्धा,

से    जीतें   विश्वास ।

ईमान इसी पर कायम,

टिकी  हुई  है आस ।। 

शख्स बना जहान में,

वासनाओं का दास  ।

नहीं फटकने दें कभी,

तृष्णाओं  को  पास ।।

"पुखराज" को न आता,

कहीं  और  न  रास ।

अन्तर्मन  जहाँ शुद्ध  हो,

रब का वही निवास ।।

# बृजेन्द्र सिंह झाला"पुखराज",

         कोटा (राजस्थान)


बिटिया का भविष्य

रोज की तरह कलुआ शराब के नशे में धुत होकर घर आया और आते ही अपनी पत्नी रमिया को गालियाँ देते हुए मारना शुरू कर दिया। उनकी तीन वर्षीया बिटिया डरकर रोने लगी। रमिया अपनी बिटिया के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कलुआ से रोज-रोज मार सहन करती थी। लेकिन आज एक विचार उसके दिमाग में बिजली की तरह कौंध गया, "वह अपनी बिटिया को क्या संस्कार दे रही है? बड़ी होकर अगर बिटिया का पति भी उसके साथ ऐसा ही सलूक करें तो क्या वह भी बिना किसी गलती के ऐसे ही चुप रहकर हिंसा सहन करते हुए अपनी जिंदगी गुजार दे?"

 यह सोचकर ही मातृत्व से ओतप्रोत उसका ह्रदय चीत्कार कर उठा, "नहीं... नहीं... उसकी बिटिया ये सब नहीं सहेगी। वह अपनी बिटिया को प्रतिकार करना सिखाएगी। गलत का विरोध करना सिखाएगी।"

उसकी फूल सी बच्ची पर कोई हाथ उठाए, यह सोचकर ही उसका हृदय काँप उठा। सोचते-सोचते अचानक रमिया में न जाने कैसे, चण्डी की आत्मा ने प्रवेश कर लिया। उसने पास पड़ा लकड़ी का डंडा उठाकर अपने पति पर वार करना शुरू कर दिया। दो-चार डंडे खाते ही नशे में धुत उसका पति जमीन पर औंधे मुँह गिर पड़ा और माफ़ी माँगने लगा। 

तभी उसे अपनी बिटिया की किलकारी सुनाई दी। मुड़ कर देखा तो बिटिया ताली बजाकर हँस रही थी। मानो उसे शाबाशी दे रही हो। शायद उस नन्हीं बच्ची को भी सही-गलत का भान था। रमिया को महसूस होने लगा मानो उसने अपनी बिटिया का भविष्य सुरक्षित कर दिया हो।


नमिता सिंह 'आराधना' 

अहमदाबाद 


मौन का चोला



मुश्किल है बहुत 

बहुत उत्साह को सँभालना 

उत्तेजना में उचित व्यवहार करना 

स्वयं को स्वयं बने रहने देना। 


वातावरण का अति उत्साह 

ढकेल देता है पीछे 

कभी अपने साहस को 

करता है निरुत्साहित। 


भीड़ की अतिशय उत्तेजना 

दबा देती है कहीं 

अपने रोमांच को

कर देती है निष्क्रिय।

बहुत में कुछ होकर 
खो जाने का डर 
अकसर बदल देता है 
निज के मूल आचरण को।

भीतर के भाव
बाहरी दबाव से  
यकायक ओढ़ लेते हैं 
मौन का चोला 
कोलाहल से बुना हुआ। 
डॉ. आरती ‘लोकेश’ 
दुबई,

उन शहीदों को नमन

(14 फरवरी 2019 को कश्मीर की राजधानी पुलवामा में crpf के काफिले पर आत्मघाती

हमले में शहीद हुए अमर शहीदों को नमन)


जल उठा कश्मीर,इक आतंकी हमला हुआ।

न समझ आया कुछ,एक जलता धमाका था।

चल रहा था काफिला,सफर में वीर वांके सिपाही।

दौडकर एक कार आई,आगे आकर अडी।

और टकरा गयी,कर गयी सब स्वाह।


जो दे गये वलिदान अपना,

उन वीरों को शत् शत् नमन।

सीना हिल गया भारत मात का।

वे दे गये अमरत्व तन को,

शौर्य की कहके कहानी।

गिर धरा पर, नभ छू लिया,

जा सितारों में महकी जवानी।

 

जनक के रक्त को ऊंचा उठाया,

बना कुलदीप,वांका,बडा नामी।

देश की रज तोल दी,उर क्षीर ने,

लाडला,चांद नभ का,आंचल छोड भागा।

सावन बन गया पतझर,

शान पा गयी बहन की राखी।

स्नेह की सरिता सागर पा गयी।


अधूरी लोरियां छोड बेटी की,

छोडा नन्हा हाथ बचपन का।

स्वर्ग में तिरंगा थाम बैठे।

खनकती चूडियों की शान भी,

उजालों का मोल कर लाई।

चमकती मांग सिंदूरी,

लाली लवों की देश के काम आई।


नमन उन वीर वांके भारत मां के लालों को,

ओढ मुंह सो गये, भारत मां के आंचल में।

नमन भारत मां के चरणों में,

जो सर्वस्व देकर तिरंगा थाम लाई।


         अनीता सिंह 'सुरभि'


चीरहरण कर घूमते, बदल-बदलकर वेश!


एक–

देश ग़ुलामी जी रहा, हम पर है परहेज़।

निजता सबकी है कहाँ, ख़बर सनसनीख़ेज़।।

दो–

लाखोँ जनता बूड़ती, नहीं किसी को होश।

"त्राहिमाम्" हर ओर है, जन-जन मेँ आक्रोश।।

तीन–

प्रश्न ठिठक कर है खड़ा, उत्तर भी है गोल। 

नैतिकता दिखती यहाँ, जैसे फटहा ढोल।।

चार– 

चरम विडम्बना दिखती, घायल दिखता देश,

चीरहरण कर घूमते, बदल-बदलकर वेश।।

पाँच–

राजनीति अति क्रूर है, संवेदन से दूर।

मानवता से दूर भी, दिखती केवल सूर।।

   आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय



तू चल बटोही तू चल बटोही,

 

जाकर ढूंढो उन राहों को,

जो हैं अब तक खोई,

तू चल बटोही तू चल बटोही,


कठिनाई से मत घबराना,

पग पग पर बढ़ते ही जाना,

तुझको इस नभ को छूना है,

चाहे परिश्रम हो दूना है,

क्रम रखना अबरोही,

तू चल बटोही, तू चल बटोही।।1।। 


चाहे पथ में बाधा आयें,

चाहे पग कंटक चुभ जायें,

दुर्गम पहाड़ों पर चढ़ना है,

अपनी किस्मत को गढ़ना है,

तेवर तुम रखना अपना विद्रोही,

तू चल बटोही तू चल बटोही।।2।।

संघर्षों से लोहा लेना,

जीवन की नौका को खेना,

पर हित की खातिर जीना है,

तना रहे तेरा सीना है,

जागेगी ये तेरी किस्मत खोई,

तू चल बटोही तू चल बटोही।।3।।


बीज कर्म के अब बोने हैं,

कलह कलुषता भी धोने हैं,

जोश रगों में फिर भरना है,

अपना नाम अमर करना है,

नाम पुकारे फिर तेरा हर कोई,

तू चल बटोही तू चल बटोही।।4।।

हरीश चंद्र हरि नगर


*हिंदी दोहे विषय - मंगल*


सत्य सनातन से सदा,रक्षा करें त्रिदेव।
मंगल ही मंगल करें,#राना धवल स्वमेव।।

#राना संकट सत्य पर,भगवन लें अवतार।
जन का शुभ मंगल करें,दुष्टों का संहार।।

सत्य बात जब हम कहें,#राना रहता ओज।
शुभ मंगल सब चाहते,करें तथ्य की खोज।।

मिलता मंगल राह पर,#राना दिव्य प्रकाश।
आता है संतोष धन,होता है आभाष।।

मंगल जहाँ विचार हों,पास न आती हार।
#राना यह सब देखकर,करे नमन हर बार।।

धना कहे #राना सुनो,मंगल दिन है आज। 
मंगल पर मंगल गुने,आज सभी आवाज।।
             ***
 *✍️ -राजीव नामदेव "राना लिधौरी"*

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