धोती दुपट्टे में ही भगवान का अभिषेक पूजन क्यों किया जाता है ?
संसार में जीवन यापन के लिए और अपनी अलग पहचान बनाने के लिए ड्रेस एक माध्यम होती है सफेद कोट से डॉक्टर की पहचान काले कोट से वकील की पहचान , भगवा से ब्राह्मण की पहचान खाकी वस्त्र से पुलिस की पहचान , सफेद कुर्ता पजामा होती है , शादी के समय शेरवानी सूट पेंट और लड़की को लाल साड़ी पहनाई जाती है तभी विवाह में शहनाई बजा करती है इसी तरह धार्मिक कार्यों में पूजा अभिषेक करते समय भगवान से अपनी भावना जोड़ने के लिए धोती दुपट्टा का उपयोग करना चाहिए
उमा स्वामीजी ने श्रावकाचार में लिखा है.......
खंडित जीर्ण शीर्ण छिन्न-भिन्न मलिन बहुत पुराने वस्त्रों को पहनकर जो दान पूजा जाप हवन और स्वाध्याय करता है उसका सर्व कार्य निष्फल हो जाता है
पूजन करते समय सर्व कार्य सिद्धि हेतु वस्त्र के रंग का प्रभाव बताया गया है श्वेत वस्त्र पहनकर पूजन करने से मानसिक शांति की अनुभूति होती है शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए श्याम वर्ण, कल्याण के लिए लाल वस्त्र पहनकर, राजा से मिलने के लिए लाल वस्त्र पहनकर और ध्यान में लीन होने के लिए पीले वस्त्र पहनकर भगवान का पूजन करना चाहिए , इसीलिए धर्म को तन मन में धारण करने के लिए धोती दुपट्टा ही एक माध्यम है इसके बिना भगवान से जुड़ नहीं पाएंगे
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