ग़ज़ल





ग़ज़ल

 

जो लक्ष्य है मिलेगा,  भरोसा ना छोड़िए

घर भी हो तो राह में , चलना ना छोड़िए

 

उम्मीद जिसका नाम है, जीवन के साथ हैं

नाकामियों के बाद ही, आशा ना छोड़िए

 

कुछ घात करने वाले भी हैं, दोस्तों के बीच

इन सिरफरों  के वास्ते ,दुनिया ना छोड़िए

 

चाहत के बावजूद वह हासिल नहीं , ना हो

उसका ख्याल , उसकी तमन्ना ना छोड़िए

 

पहचान है जो फूल की ,अपनी महक से है

कांटो  पे   फूल  बनके  महकना ना छोड़िए 

 

 

 डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल 

 



 






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