हमसे करे दिल की बात






 

हमसे करे दिल की बात 

 

प्रश्न--मैं एम.एन.सी. में कार्यरत हूं। मेरे माता-पिता और रिश्तेदार सभी मुझे विवाह करने के लिए कहते रहते हैं । मुझे समझ नहीं आता कि मैं जब अकेलाआनंद से रह रहा हूं तो फिर शादी क्यों? और फिर दिन रात मेरे दोस्त जो अपनी पारिवारिक दास्तान सुनाते हैं उससे तो घबराहट होने लगती है ।आप बताइए क्या करें?(अनुभव जैन इंदौर)

 

उत्तर--विवाह संस्था के संस्थापक हमारे पूर्वजों ने जिस भावना से की है आप उसे समझने की कोशिश करें ।समाज में सुव्यवस्थित, सुशिक्षित, नैतिक जीवन की आधारशिला विवाह ही है।आपने एक पक्ष ही देखा है आपके  मम्मी पापा ने दुनिया देखी  है ।आप अभी युवा हैं इसलिए ऐसा है। आप इसकी उपयोगिता अनुभव नहीं कर पा रहे हैं । आप दूसरों के अनुभवों को सुनकर ही डर गए हैं। प्रौढ़ता और वृद्धावस्था में इस सच को समझेंगे। समाज मेंअविवाहित वृद्धों को कोई सहारा और सम्मान देने वाला नहीं मिलता। यदि आप धर्म में संलग्न होकर दीक्षा लेना चाह रहे हैं तो बात अलग है। वरना कुछ दिनों में आपका अविवाहित रहना आप के लिए अभिशाप हो जाएगा। किस-किस को अपनी मन स्थिति से संतुष्ट करोगे कोई पास बैठ ना पसंद नहीं करेगा और आपके तर्कों को अनुभवहीनता की बकबक कहकर उपेक्षित कर दिया जाएगा उस पीड़ा का तो अभी आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। विदेशी सोच देसी बच्चों पर नहीं चलती ।अतः समय रहते ही संभल जाएं और अपने माता-पिता का कहना माने और प्रभु का धन्यवाद दे कि आपकी कोई चिंता करने वाले हैं और आपके भविष्य को संवारने वाले हैं। विवाह का निर्णय लें और देश और समाज के जिम्मेदार नागरिक बने।।

  

डॉ  . ममता जैन


 

 



 



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