हमें मंदिर और तीर्थ स्थानों पर मोबाइल लेकर क्यों नहीं जाना चाहिए
जो बार-बार मन को विकल्पों से करे घायल , खत्म कर दे चेहरे की स्माइल उसे कहते हैं मोबाइल मोबाइल चलता फिरता संसार है इसको साथ रखकर घर परिवार व्यापार तो चलाया जा सकता है लेकिन धर्म कार्य में यह सबसे बड़ा बाधक होता है
यदि हम मंदिरों में मोबाइल लेकर जाते हैं तो माला पूजन सामायिक स्वाध्याय करते समय रिंग बजे जाती है फिर इसके बाद मानसिक उपयोग मोबाइल की ओर जाकर अनेक प्रकार के विचारों में खो जाता है इस प्रकार अन्तराय कर्म का बंध हो जाता है इसके साथ-साथ मोबाइल की रिंगटोन से पूजा पाठ करने वाले का उपयोग भी प्रभावित हो जाता है जिससे ज्ञानावरणी दर्शनावर्णि कर्म का तीव्र बन्ध होता है इसके अलावा हम यदि तीर्थयात्रा का हमारे पूर्व पुण्य के प्रभाव से सिर्फ वंदना करने का अवसर मिलता है इससे मोबाइल हमारी एकाग्रता भंग करता है उस समय हमारा सारा ध्यान मोबाइल के सारे मैसेज मेल आदि पर चला जाता है इस दौरान हमें कुछ भी दिखाई नहीं देता यात्रा का शुभारंभ मोबाइल लेकर करते हैं तो फिर कभी परिवार से अच्छे समाचार आते हैं तो कभी दुख भरे इसके अलावा कभी व्यापारिक हानि का संदेश मिल जाता है तो हमारा सारा उत्साह और प्रसन्नता न मंदिर जाकर घर जाने की हो जाती है , हमारी यात्रा बीच में रुक जाती है तो इस मोबाइल के कारण
मोबाइल के सहारे हम कर्म बांध लेते है हम मोबाईल के बिना धर्म ध्यान करते है तो निश्चित ही हमारी यात्रा सफल होगी
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