यह उस गलिच्छ बस्ती से स्कूल आता था , जहां गरीबी का एक छत्र राज था | माँ -बाप सिर्फ इसलिए स्कूल भेजते थे कि एक तो स्कूल की फ़ीस नहीं लगती थी और दूसरे अभी उसे अभी कहीं काम नहीं मिला था |
आज स्कूल का इंस्पेक्शन होने वाला था मास्टरों ने पहले ही खास -खास हिदायतें दे रखी थी | वह रोज की तरह आज फिर लेट आया था और रोज की तरह ही डांट खाकर खड़ा हो गया | भूगोल के मास्टर अपने विषय के अनुसार सख्त थे | आते ही उन्होंने पूछा -
" बताओ ,भारत के किस प्रान्त मेँ गेहूं का भंडार है ?"
वह चुप रहा | सड़ाक से एक बेत उसके हाथ पर पड़ी , मनो कह रही है बता दे पंजाब को | पर वह उसकी बात नहीं समझ सका और चुप-चाप अपना हाथ भूखे पेट पर सहलाने लगा |
मास्टर ने गुस्से से दूसरा सवाल पूछा - " अच्छा बताओ , भारत में कपड़े की मिले सबसे अधिक कहाँ पर है ?"
वह फिर चुप | सड़ाक से दूसरी बेंत उसके दूसरे हाथ पर पड़ी , मानो कह रही है बंबई में | उसे फिर बेंत की बात समझ में नहीं आयी | वह चुप - चाप खड़ा रहा | उसकी आँखे छल छला आई | उसने एक हाथ अपनी चढ्डी के विशेष फ़टे भाग पर रखा और दूसरे हाथ की आस्तीन से अपने आंसू पोछने लगा | पर आस्तीन इतनी फ़टी थी की उसकी पूरी बांह भीग गई |
आँखे मलते - मलते उसके जी मेँ आया चीख - चीखकर कहे की न तो भारत मेँ गेहू के भंडार है और न ही कपड़े की मिलें | वह ते चुप ही रहा , पर उसकी चुप्पी पूरी शिक्षा प्रणाली से पूछ रही थी , क्या ये प्रश्न मुझसे पूछने का किसी को हक है ?
घनश्याम अग्रवाल
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