सम्पादक की कलम से

सामजिक सौहार्द सिखाते हैं पर्व 






पर्व हमें सामाजिक सौहार्द सिखाते हैं सामाजिक सौहार्द वह अमृत है जिस पर प्रसन्नता एवं आत्मीयता  के पुष्प खिलते हैं, संस्कारों का बीजारोपण होता है, समाज में स्नेह सद्भाव और आत्मीयता की शीतल मलयानिल  बहती है। 

समाज शास्त्रियों ने, संतों ने, मानव वैज्ञानिकों ने भी सामाजिक विभिन्नताओं में एकता  के रूप में ऐसी परंपरा की प्रतिष्ठापना की है जिससे परिवार और समाज में समरसता बहती रहे सभी में सौहार्द भाईचारा बना रहे

होली के साथ भारतीय संस्कृति में अनेक कथाएं जुड़ी हैं होलिका दहन भी इस पर्व की एक परंपरा है जो सब बुराइयों को भस्म करने का संकेत देती है मैं समझती हूं अग्नि ही वह शुद्ध ज्वाला है जिसमें वह सामर्थ्य है और प्रत्येक वस्तु को भस्मी भूत करके भी निर्मल रहने देने का सामर्थ्य है इसमें प्रतीक है उपदेश है और आदेश है पर्व के माध्यम से रंगों के माध्यम से वातावरण को रंगीन बनाना आपसी  कलुषता  और वैमनस्यता दूर करने  तथा छोटे बड़े सब के बीच की दूरियों को समाप्त करने का

होली का उद्देश्य है  दुर्व्यवहार का दहन  और सद व्यवहारों का उद्दीपन  होली प्रेम की स्थापना का मूल मंत्र देती है आत्मीयता का विस्तार करती है तथा संवेदना का जयघोष करती है इस पर्व में पीली पीली सरसों ही नहीं लहराती अपितु परिपक्वकता और मैत्री का भी अंकुरण एवं विकास भी होता है यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा है और उस के प्रति सम्मान भी जाग्रत करती है.

प्रेम का आदान-प्रदान  सामाजिकता की आधारशिला है हमें अपने पर्वों के हार्द  को समझना चाहिए इनके रूप स्वरूप को विकृति से बचाकर रखना चाहिए तभी हमारी संस्कृति सुरक्षित रहेगी और पर्वों का उद्देश्य भी

इस पर्व पर कृत्रिम रंगों का उपयोग नशा सेवन अथवा अपने अंतरंग के क्रोध द्वेष को निकालने हेतु अनुचित साधनों का उपयोग उचित नहीं है अपितु मिलन और अपनत्व की भावना से ही  'भूल जाओ होली (पवित्र )बन जाओ' होली में  अशुभ  का निवारण शुभ का प्रवेश मर्यादित व्यवहार पवित्र अंतरण यह होली का उद्देश्य है वैमनस्यता की विषैली फसल अंतरंग के सद्गुण के कोमल पौधे को समूल नष्ट कर देती है

आइए नव वर्ष के पश्चात बसंत और अब होली पर ह्रदय में उमंग और तरंग जागृत करें होली पर संगीत नृत्य यूं ही नहीं होते हम तनावग्रस्त ना हो पूर्वाग्रह से ग्रसित ना हो

इस पर हम भी समाज परिवार और राष्ट्र में प्रेम की धरा प्रवाहित करें अपने हृदय को व्यापकता और सद्गुणों के अबीर गुलाल से रंग ले और स्नेहिल भाव की पिचकारी से वसुधा को भिगो दें यह धरा हमारी है हमें इसे अपने विचारों और भावों के प्रदूषण से भी मुक्त रखना होगा श्रीदेशना का अबीर गुलाल आप सबके लिए

डॉ0  नीलम जैन

 

 



 



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