हालत-ए-वतन

 














दोस्तों..

हालत-ए-वतन चंद लफ्ज़ो में बयां कर रहा हूं..!!

 

किरदार में सिलवटें, नज़र में ये अदावतें क्यों रखते हों..!

मानव रुप में जन्म लिया तो फिर, जानवर क्यों दिखते हों..!

ये सियासत कभी अपने सगे बाप की भी, नहीं हुई आजतक..!

तो फिर चंद सिक्कों के लिए, क्यो यूं हज़ूर तुम बिकते हों..!

 

 

कमल सिंह सोलंकी

रतलाम मध्यप्रदेश


 

 



 



 













 










 

 








 

 







 







 




 





 



 




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