होली ...
ऋतुओं की रानी आई अलबेली
आया फागुन लाई संग होली
मन्द सुगंधित चले पुरवैया
मस्त बहारें महके रे भैया
रंग अबीर गुलाल उड़े रे
भर उमंग मनुवा बहके रे
केसर क्यारी,चोबा महके
रंग रंगीली फुहारें बरसे रे
छल, छद्म,कपट,विषबेल
तन मन से दूर करो रे भैया
भक्त प्रहलाद की गाथा गाना
सद्भाव मिलन को अपनाना
चटक चटीली राधे रंगीली
बांका कृष्णा छैल छबीला
केसर कस्तूरी भरी तलैया
राधे संग कृष्णा खेलें ता थैया
देखो,कहीं छन रही ठंडाई
कहीं हो रही भांग घुटाई
पीकर मस्त मलंग हुरियारे
चनिया चोली रंगीं कर डारे
सरररर देवर ने भरी पिचकारी
अरररर भौजाई रंग देखके भागी
पकड़ कलाई पिया ने अंग लगाई
मतवारी रतनारी गोरी ले अंगड़ाई
मुदित नयना सजनी शरमाई
अधर गुलाबी जिया में हर्षाई
मिले नयन जब धड़कन जागी
प्रीत पिया की रंग ली अनुरागी
तेरी प्रीत की ओढूंगी चुनरिया
सप्तसुरों पे गाऊँगी सरगम
हमदम तेरे अंग,संग चलूँगी
सांवरिया तोरे रंग में रंगूँगी ।
✍ सीमा गर्ग मंजरी, मेरठ
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