दोस्तों..
हर कोई कह रहा होली रंगों का त्योहार..पर हमारा इंसानी जीवन तो सिर्फ़ दो रंगों का मेल है..
और वो रंग हैं ख़ुशी और ग़म..हम तो इस होली फकत इतना कहेंगे..!!
कभी खुशी तो कभी ग़म भिगोने को तैयार हैं..!
कम्ब़ख्त ये जीवन भी तो एक रंगों त्योहार है..!
जलतीं है हर एक के दिलों में हसरतों की होली..!
किसी की हसरत मुकम्मल हैं तो कोई बेकरार है..!
वक़्त की पिचकारी बस दो रंगों से भरी रहती हैं..!
रंग खुशी या ग़म का भिगोना इसका कारोबार है..!
आपकों तो सदा ही खुशियों के रंग मिलें जीवन में..!
*कमल* की उस परवरदीगार से बस यही दरकार है..!
कमल सिंह सोलंकी
रतलाम मध्यप्रदेश
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