नारी भर रही है उड़ान





नारी भर रही है उड़ान

 

जिम्मेदारी संग नारी भर रही है उड़ान ना कोई शिकायत ना कोई थकान

नारी तुम प्रेम हो आस्था हो विश्वास हो

टूटी हुई उम्मीद की एकमात्र आस हो 

 हर जन का तुम हो तो आधार हो

नफरत की दुनिया में तुम ही तो प्यार हो

उठो अपने अस्तित्व को संभालो केवल

एक ही नहीं हर दिन के लिए तुम खास हो

हर दिन के लिए तुम खास हो

जब है नारी में शक्ति सारी तो फिर क्यों नारी को कहे बेचारी

 

अल्पना सराफ मुंगावली

 

 



 



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