नारी ईश्वरीय वरदान है ....    

नारी ईश्वरीय वरदान है ....    

 

 त्रिदेवों की अनुपम कृति नारी है

सृष्टि की अद्भुत सृजन शक्ति नारी है 

नारी हिरण्यगर्भा सी प्रकृति है

नारी दैवीय वरदान की युक्ति है 

 

नारी मृदुल ह्रदय की मिठास है

दिवस की पावन शुरुआत है

जग में नारी ईश्वरीय अनुकृति है

निष्ठा,प्रेम,त्याग की प्रतिमूर्ति है 

 

नारी मन का उपवन महकाती है

पुष्प पराग सौरभ सा खिलाती है

उत्फुल्ल कुसुमित हो दिल मिलते हैं

मर्यादित उमंग तरंग से रिश्ते बनते हैं 

 

जहाँ में सप्तरंगीन सी नारी है 

दिव्य नव शक्ति रुपा वारी है 

 ना कहो कि नारी बेचारी है

नारी सबला शक्ति रुप धारी है 

 

जल थल वायुसेना की 

कमान संभालती नारी है 

सुकर्मों की सुगंध फैलाती

नारी काली रुप भी धारी है

 

नारी ने आत्मरक्षा के गुण हैं सीखे 

ये कूंगफू मार्शल आर्ट जैसे हैं तीखे 

नारी सम्मान का करे यदि कोई हरण 

त्वरित हो फिर उस दुष्ट का मरण 

 

नारी हिय तराजू तौलती है 

नित प्रगति के सोपान चढती है 

कुत्सित दृष्टि डालने वाले को 

 सबक सिखाये साहसी नारी है ॥

 

✍ सीमा गर्ग मंजरी, मेरठ

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