शून्य से शुरू हुआ जीवन               

  शून्य सा होगा खत्म ।

 

गणित रुपी जीवन यह 

जोड़ -घटाव सा चलता है।

 

अनुभव व मेल-मिलाप से जुड़ते हैं 

चलती सांसे घटाव- सी घटती है ।

 

रिश्तो के कोष्ठको में बंधा जीवन

 प्रेम -प्यार का समीकरण है जीवन ।

 

तेरी मेरी करते रहते

धन-दौलत का गुणा-भाग।

 

दशमलव से गति जीवन का 

सत्य यही है शून्य।

 

श्रीमती प्रतिभा पंचोली✒