*विश्व अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रस्तुत...*
*गीत*
तू देवी धरती की प्यारी,तू परमातम रूप है.
महिमा तेरी कैसे गाऊँ,रूप तुम्हारा अनूप है।।टेक।।
1).धरती-अम्बर-नभ से ऊंचा,मान तुम्हारा जग में हैं.
है पुरुषार्थ अलौकिक तेरा,गाते सारे जग जन है।
धरती की सुंदर काया का,तूँ सच्चा प्रारूप है।।
तूँ...............................।।1।।
2).तूँ ही राम की जननी है, अरु कृष्ण की प्यारी मैया है.
सब सेजो में माँ की गोदी,सबसे महँगी सैया है।
सृष्टिकर्ता ब्रम्हा जैसा,अद्भुत तेरा स्वरूप है।।
तूँ.............................।।2।।
3).माँ-बहिना-पत्नि के रूप में,तेरा पूर्ण समर्पण है.
मेरा तुझको सब कुछ अर्पण,तूँ ही प्यार का दर्पण है।
है संसार में श्रेष्ठ नारी तो,"ध्रुव" को ये सुखरूप है।।
तूँ............................।।3।।
--शास्त्री दीपक "ध्रुव"
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