तलघर का व्यवसाय पर प्रभाव वर्तमान में छोटे बड़े नगरों में अधिकाँश तलघर बनाने का प्रचलन चल गया है। लेकिन सभी तलघर व्यवसाय में लाभ देने वाले नहीं होते। तलघर में सूर्य का प्रकाश निम्न प्रकार से फल देने वाले है। १- जिन तलघरों में सूर्य की रोशनी नहीं जाती ऐसे तलघर कभी भी व्यवसाय में लाभ देने योग्य नहीं होते। २- जिन तलघरों में प्रात ७ से १० बजे तक एक चौथाई हिस्से में सूर्य प्रकाश आता है , ऐसे तलघर व्यवसाय के दृष्टिकोण से ७५ प्रतिशत लाभ देने योग्य होते है। ३- भवन की उत्तर दिशा में बने तलघर सामान्यतया शुभ फल देने वाले होते है। यदि तलघर में उत्तराभिमुख बैठकर और व्यवसाय से सम्बंधित भारी वस्तुए दक्षिण और पश्चिम दिशा में राखी जाए तो व्यसाय में कुछ विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है। ४- नैऋत्य कोण में बने तलघरों में कभी भी व्यवसाय से लाभ प्राप्त नहीं होता। ऐसे तलघर में व्यवसाय करने से हानि होने पर भी शीघ्रता से स्थान को बदलने की व्यवस्था नहीं होती। और बीमार और परेशान रहने लगते है। ५- वायव्य कोण में बने तलघर में अगर उत्तर दिशा में बड़े रोशनदान और खिडकिया रखी जाए तो शुरुवात में व्यवसाय बहुत अच्छा चलता है लेकिन लम्बे समय तक व्यवसाय में स्थिरता नहीं रहती। (तलघर से सम्बंधित और भी अनेक कारण व्यवसाय को शुभाशुभ फल प्रदान करते है। अतः व्यवसाय प्रारम्भ करने से पहले अथवा अगर व्यवसाय चालु है लेकिन लाभ नहीं मिल रहा है तो वास्तु विशेषज्ञ से समय रहते परामर्श अवश्य लेना चाहिए। , ) वास्तु एवं ज्योतिष रत्न राकेश जैन हरकारा फ्यूचर वास्तु - प्रताप नगर जयपुर |
वास्तु; तलघर का व्यवसाय पर प्रभाव
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