बन्द मुट्ठी






बन्द मुट्ठी

 

मुट्ठियाँ क्यों 

बन्द है इंसान की,

जाने से पहले 

एक बार तू खोल दे।

तोड़ कर

नफ़रतों के दायरे

बन के इंसान

इंसानियत का तू मोल दे।

धर्म मज़हब की

हदों को छोड़ कर

ह्रदय तराजू

प्रेम को तू तोल दे।

                      प्रीत


 

 



 



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