बन्द मुट्ठी
मुट्ठियाँ क्यों
बन्द है इंसान की,
जाने से पहले
एक बार तू खोल दे।
तोड़ कर
नफ़रतों के दायरे
बन के इंसान
इंसानियत का तू मोल दे।
धर्म मज़हब की
हदों को छोड़ कर
ह्रदय तराजू
प्रेम को तू तोल दे।
प्रीत
उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...
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