अपनों के बीच दरार ना आने दे
















  

हंस जैन 

 

दोस्तों,

 

    अक्सर रिश्तों मे दरार किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा हमे गलत और अर्धसत्य बातो को नमक मिर्च लगाकर बता कर डाल दी जाती हैं । हम अपने रिश्तों को जो इतने वर्षो से साथ थे एक अनजान और कल से जुड़ा व्यक्ति आकर गलत बोलता और हम उस रिश्तों को तोड़ देते हैं । आप इस रिश्ते को तोड़ते वक्त कभी ये सोचते हैं की इस रिश्ते को तोड़ने मै कितना कम समय लगा जबकि कितने वर्षो से हम उन रिश्तों को संवार कर रखे थे । जिस बुनियाद पर रिश्ते रखे थे क्या वो लालचवश थे, क्या उन रिश्तों मे कोई छल कपट था, क्या कोई दिखावा था।

नही था , फिर कैसे एक पल मे हम किसी बहकावे मै आकर किसी दूसरे की बात मै आकर अपने पुराने सम्बन्धो को तोड़ देते हो ।

 

   दोस्तों, कई लोगो को आपकी दोस्ती,आपका अपनापन, आपकी रिश्तेदारी , रास नही आता, दुःख होता हैं की ये सफल और रिश्ते कैसे निभाते हैं ? इन लोगो की परवाह मत कीजिये

यदि आपको कोई अपनों के बारे मै गलत बात बोलता हैं तो आप तुरन्त अपनों के पास जाकर उस बात का जिक्र कीजिये । आपको हकीकत का पता चल जायगा की सच क्या हैं और

झूठ क्या हैं ।

 

   दोस्तों, अपनों से लड़ लो, गुस्से मे मार लो , मार खा लो पर बातचीत बन्द मत करो, एक बार बात बन्द हुई नकारात्मक लोग जाग जायेगे और आपके बीच की दरार को बढ़ाकर एक खाई बना देंगे ।

 

    आईये एक छोटी सी कथा से आपको समझाता हूँ की अर्धसत्य से कैसे बचा जाए ।

 

एक नाविक तीन साल से एक ही जहाज पर काम कर रहा था।एक दिन नाविक रात मेँ नशे मेँ धुत हो गया। ऐसा पहली बार हुआ था। कैप्टन नेँ इस घटना को रजिस्टर मेँ इस तरह दर्ज किया, ” नाविक आज रात नशे मेँ धुत था।”

 

नाविक नेँ यह बात पढ़ ली। नाविक जानता था कि इस एक वाक्य से उसकी नौकरी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। इसलिए वह कैप्टन के पास गया, माफी मांगी और कैप्टन से कहा कि उसनेँ जो कुछ भी लिखा है, उसमेँ आप ये जोड़ दीजिये कि ऐसा तीन साल मेँ पहली बार हूआ है, क्योँकि पुरी सच्चाई यही है।

 

कैप्टन नेँ उसकी बात से साफ इंकार कर दिया और कहा,-” कि मैनेँ जो कुछ भी रजिस्टर मेँ दर्ज किया है. वही सच है।”

 

कुछ  दिनों  बाद नाविक की रजिस्टर भरनेँ की बारी आयी। उसनेँ रजिस्टर मेँ लिखा-” आज की रात कैप्टन नेँ शराब नहीँ पी है।” कैप्टन नेँ इसे पढ़ा और नाविक से कहा कि इस वाक्य को आप या तो बदल देँ अथवा पूरी बात लिखनेँ के लिए आगे कुछ और लिखेँ, क्योँकि जो लिखा गया था, उससे जाहिर होता था कि कैप्टन हर रोज रात को शराब पीता था। नाविक नेँ कैप्टन से कहा कि उसनेँ जो कुछ भी रजिस्टर मेँ लिखा है, वही सच है।

 

दोनोँ बातेँ सही हैँ, लेकिन दोनोँ से जो संदेश मिलता है, वह झूठ के सामान है।

 

मित्रों इस कहांनी से हम दो बातें सीखने को मिलती है , पहली – हमें कभी इस तरह की बात नहीं करी चाहिए जो सही होते हुए भी गलत सन्देश दे और दूसरी किसी बात को सुनकर उस पर अपना विचार बनाने या प्रतिक्रिया देने से पहले एक बार सोच लेना चाहिए कि कहीं इस बात का कोई और पहलु तो नहीं है। संक्षेप में कहें तो हमे अर्धसत्य से बचना चाहिए।

 

   आज से प्रेरणा ले की जब तक किसी भी पहलू को सोच समझकर उसकी सत्यता को जांच नही लो आप कोई गलत निर्णय नही लोगे ।आज जाकर जो गलतफहमी हुई उसे दूर करो । वैसे तो प्यार का कोई तय दिन नही होता हर दिन प्यार होता हैं फिर भी आज इसी पल को ईश्वर का दिन

मानकर आज ही अपनों से गलतफहमी मिटाकर बात की शुरुआत करे । 

 

      दोस्तों,जिंदगी कम ही समय देती हैं, और रुठने ,गुस्सा करने, विवाद करने,लड़ने, बिछुड़ने आदि मे ही समय निकाल दोगे तो प्यार, मुहब्बत,अपनापन, के लिये कब समय दोगे।

 

हंस जैन।   
निराशा से आशा की और




   बढ़ता एक कदम ग्रुप की भेंट