.मां से बड़ा कोई योद्धा नहीं होता है जमाने में..!

 

आज मेरे मोहल्ले में..एक बिल्ली अपने बच्चे को बचाने के लिए अपने से क‌ई गुना ताकतवर एक कुत्ते से भीड़ गई.. उसने ऐसा करारा पंजा जड़ा कुत्ते के मुंह पर की वो दुम दबाकर भाग गया..इस वाक़िए को देखने के बाद मुझे महसूस हुआ की इस धरा पर *मां* से बड़ा कोई *योध्दा* हो ही नहीं सकता..इस धरा की तमाम *मा* (इंसान,पशु,पक्षी) को नमन करते हुए उस परम आदरणीय और पूज्यनीय शक्ति के नाम मेरी आज की शाम..!!

 

मां से बड़ा कोई योद्धा नहीं होता है जमाने में..!

हर क़लमकार ने यही लिखा है अपने अफसाने में..!

 

दिल मोम सा रखती पर सहनशीलता फौलाद सी..!

पानी सी शीतल होती पर सीने में तपन आग सी..!

परिवार पर आंच आएं तो ये तूफ़ान बन जाती हैं..!

औलाद पर बला आएं तो ये दीवार सी तन जाती हैं..!

परिवार में सब ख़ुश रहें बुनती सदा ये ताने-बाने है..!

मां से बड़ा कोई योद्धा..

 

गुल हैं गुलशन है और ये तो होती एक गुलफाम हैं..!

बिन मां कहां सवेरा जिंदगी होती गमो की शाम हैं..!

बंजर धरा पर ये तो होती बारिश की एक फुहार हैं..!

पतझर भी मह़कने लगें ये तो ऐसी एक बहार मैं..!

ये हैं तभी जिंदगी में गुंजते सदा मधुर तराने है..!

मां से बड़ा कोई योध्दा..

 

गमो के पलों में ये तो सदा ही हंसना सीखाती हैं..!

संतान जब भटकती है ये सही सही राह दिखाती हैं..!

गमगीन पलों में ये झरने का मधुर सा एक स्वर है..!

ममता की छांव मिलती मां होती वो एक शजर हैं..!

सुकून उसे कब मिला जिसने इसके एहसान न माने है..!

मां से बड़ा कोई योद्धा..

 

कमल सिंह सोलंकी


 

 



 



 















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