*"परिवार का महत्व*
परिवार क्या हैं?
यह हमने अभी घर पर रह कर सिखा हैं।
परिवार वो वृक्ष हैं, जो हमे प्रेरक बनकर प्रेरणा देता हैं।परिवार ही हमे आचार विचार , शालीनता, सभय्ता, संस्कार हमें सिखाता हैं, आपस मे प्रेम भाव से बैठना-हँसना, खिलखिलाना आपस के भावों , अपनो के मर्म एवं दर्द को समझना तथा उन्ही का निवारण करके आपस मे ही बाँटना, यह परिवार ही हमे सिखाता हैं।
हम कितने भी मालामाल या धनवान बन जाये पर हमारी खुशी का इज़हार परिवार के साथ ही होता हैं।
यही परिवार हमारी खुशी को दोगुना करता हैं। इसके विपरीत यदि हमें कोई दुःख हो , तो परिवार ही स्तंभ बनकर इस दुःख को बाँट लेता हैं। मतलब सुख व दुःख में परिवार अहम भूमिका अदा करता हैं।
बच्चों का मानसिक व शारीरिक विकास जो दादा दादी , नाना नानी की कहानी सुन कर प्रेरक संवाद, धार्मिक संवाद सुनकर बढ़ता है, वह विकास एक आया के भरोसे , नोकर के भरोसे या होस्टल में रहकर नही बढ़ पाता हैं,वह बच्चे कुंठित जीवन जीते हैं। इस प्रकार हम अपने व अपने बच्चों के साथ खिलवाड़ करते हैं। इस प्रतिस्पर्धात्मक युग मे हमे आगे बढ़ने की होड़ लगी रहती हैं, ओर हम आगे बढ़ते रहते है और परिवार पीछे छूट ता चला जाता है यह प्रासंगिक नही हैं, यदि परिवार नही है, तो हम अमीर होते हुए भी कई मोड़ पर निरीह गरीब की भाँति स्वयं को महसूस करेंगे। इसके विपरीत हमारे ऊपर कोई दुःख का पहाड़ टुटता हैं , तो परिवार ही एक स्तंभ की भाँति खड़ा होकर शक्ति प्रदान करता हैं।
इसीलिए मेरा नम्र निवेदन हैं कि परिवार रूपी इस वट वृक्ष को आपसी प्यार, स्नेह, ममता से ऐसा सींचे कि आने वाली पीढ़ी भी इस शीतल छाया का अनुभव कर सकें।
*हम हैं तो परिवार है, परिवार है तो हम हैं*
प्रेषक
*विनोद कुमार अग्रवाल*
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