संकल्प पत्र

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लेकरके संकल्प चलो अब दूर चलें हम

अन्तस में ठहरी करुणा के दीप जलाकर

मुग्ध प्रफुल्लित कर दें हर वेदना हरें हम

धरती के कोने कोने में स्नेह सजाकर।। 

फैले तमस अंध की कुटिल भयंकर पीड़ा

करती रहती है जो परितः अठखेली सी

मृत्यु रूप का वरण सदा के लिये इसे दें

नया सवेरा हो जाये अमृत बेली सी।।

मधुरस का आवाहन हो दारिद्य नष्ट हो

वसुधा सिंचित हो जाये जीवन रस पीकर

सामंजस्य सृष्टि में फैले और सुगंधित

आत्म तृप्ति मिल जाये हर मानव को जीकर।। 

सुगम सरस हो पथ जीवन का विह्वल ऐसा

न्याय सत्य का पावन संगम नित नित होवे

वसुधा हरी भरी निर्मल उर्वरा पूर्ण हो

कोइ जीव अभाव ग्रस्त होकर ना रोवे।। 

इन संकल्पों का प्रभु अनावरण कर देना

भूखे मानव जीवों का  पोषण कर देना

इतनी सी अभिलाषा मेरी पूरी करना

सबके जीवन को फिर से रोशन कर देना ।।

आलोकजी शास्त्री इन्दौर 9425069983