मातृ-दिवस पर विशेष!

 

माँ, अंबा , माई , महतारी , जननी, प्रसू, धात्री आदि शब्दों की व्याख्या

 

कमलेश कमल 

 

अगर देखा जाए तो अनंत शक्तियों की धारिणी, ऊर्जा की अजस्र स्त्रोत, प्रेम की निर्झरिणी, ममता की मूर्ति एवं त्याग की प्रतिकृति माँ को शब्दों में व्याख्यायित करने का प्रयास करना मुझ जैसे कलमकार के लिए धृष्टता होगी; फिर भी अपनी मातृशक्ति को शीश नवा कर उसके विविध रूपों के अर्थ उद्भेदन का यथासंभव प्रयास करता हूँ।

 

# सबसे पहले जननी को समझते हैं : जननी वह है जोे जनन करे या जन्म दे । संस्कृत की जन् धातु से इसका निर्माण हुआ है जिसका अर्थ है पैदा करना या जन्म देना !

इस तरह आप की जननी सिर्फ वही है जिसने आपको जन्म दिया है , दूसरी कोई औरत आपकी जननी नहीं हो सकती । 

 

# धात्री -  शिशु की देखभाल करने वाली वह स्त्री जो दूध पिलाने और लालन पालन करने के लिए नियुक्त होती है , जिसे सामान्य अर्थों में हम दाई कहते हैं । शास्त्रों में इसे भी दाई माँ  या धात्री कहा गया है ।

 

# इसे उपमाता भी कहा जाता है ,लेकिन उपमाता ‘माता के बदले माता’ है । उप का अर्थ है ‘बदले में’ जिसका माता शब्द से संयोग होकर ‘उपमाता’ शब्द बना। 

 

# अगर किसी शिशु के माँ की मृत्यु हो जाए और उसकी धात्री, चाची, मामी, मौसी या कोई अन्य स्त्री उसे पाले तो स्त्री उपमाता कहलाएगी । 

 

#  यशोदा कृष्ण की धात्री थी , उपमाता भी थी ।

 

# देवकी कृष्ण की जननी थी ।

# धात्र मूल में ई प्रत्यय लगकर धात्री शब्द की उत्पत्ति हुई है । 

 

#जो अपने अंक या गोद में बच्चे का पालन करती है उसे अंकपालिका कहते हैं । अंकपालिका के लिए जरूरी नहीं कि वह बच्चे को दूध पिलाए ही ।

 

# बिहार में एक पंक्ति अक्सर सुनने के लिए मिलती है , “अरे ,उसको तो मैंने अपने गोद में खेलाया है” ।  तो जो ऐसा कहती हैं वे उस बच्चे की अंकपालिका हुईं ।

 

#कोई पुरुष जब ऐसा करे तो वह अंकपालक कहलाएगा ।

 

# अंकपालिका और अंकपालक दोनों के लिए इंग्लिश में एक ही शब्द है -babysitter ।

 

#  प्रसव में जो मदद करे, वह प्रसाविका है ।

# सूतक कर्म  में मदद करने की वजह से वह सूतिका है ।

 

# गाय का दूध भी शिशु को पिलाया जाता है, इसलिए गाय को भी धात्री कहा गया है ।

 

# गंगा की महिमा भी पालन करने वाली की तरह ही  है ,और गंगा के किनारे बसे लोगों के लिए यह माँ से कम भी नहीं  । इसलिए, गंगा को भी धात्री कहा गया है ।

 

# आमला फल की महिमा भी शास्त्रों में वर्णित है और सच ही यह अत्यंत  पोषक और लाभकारी है । इसलिए आमला को भी धात्री कहा गया है। 

 

# धात्री के लिए इंग्लिश में foster mother या  governess शब्द प्रयुक्त होता है ।

 

# इतिहास में धात्री स्त्री के रूप में अकबर की पालनहार माहम अनगा और एक अन्य पन्ना धाय का नाम आता है ।

 

# माई शब्द का प्रयोग माता , माँ,  बूढ़ी स्त्री या किसी भी मातृवत् स्त्री के लिए हो सकता है ।

 

# ‘माई का लाल’ मुहावरा माई शब्द से ही बना है जिसका अर्थ है - ‘बहादुर’ ।

 

# प्रसू का अर्थ है उत्पन्न करने वाली , जन्म देने वाली ।

 वस्तुतः  सू शब्द का अर्थ है पैदा करना ।

 

# सूत का अर्थ पैदा किया हुआ और प्र उपसर्ग लग कर प्रसूत का अर्थ  हुआ - विशिष्ट रूप से पैदा किया हुआ ।

 

#  प्रसूति शब्द का अर्थ है पैदा करने की प्रक्रिया ।

 # प्रसव शब्द का भी यही अर्थ है -बच्चा जनने की क्रिया।

 

 # प्रसूति रोग विशेषज्ञ का अर्थ है बच्चे को जन्म देने के संदर्भ में हुई रोग की रोकथाम के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर ।

 

 # जैसा की हमने देखा सू शब्द का अर्थ है पैदा करना और प्र का मतलब विशिष्ट । तो, प्रसू  शब्द का अर्थ है विशेष रूप से पैदा करना । यह विशेष वह नौ महीने # में रखने की विशिष्ट प्रक्रिया है, वह असह्य दुःख है जो प्रसव के समय होता है । तो , आप प्रसू शब्द का प्रयोग उनके लिए करते हैं जिन्होंने हाल ही वह विशेष प्रक्रिया को झेला है । एक बूढ़ी माँ के लिए प्रसू शब्द का प्रयोग करना दिखाता है कि प्रयोग कर्ता ने शब्दकोश से पर्यायवाची शब्द याद किया है ,लेकिन शब्दों की समझ नहीं है।

 

# प्रसूता या प्रसूतिका का अर्थ बिल्कुल स्पष्ट है - सद्यः जनने वाली स्त्री या प्रसविनी ।

 

# वैसे प्रसव से बना एक शब्द है पिता के लिए भी -प्रसविता या जन्म देने वाला । 

( प्रसविनी का विलोम - प्रसविता )

 

#सद्यः प्रसूत वह नवजात शिशु है जिसका अभी-अभी जन्म हुआ हो ।

 

# तो, ‘प्रसू’ सिर्फ उस माँ के लिए प्रयुक्त हो सकता है जिसने  प्रसव पीड़ा झेल , प्रसूति की प्रक्रिया से सुत (पुत्र) अथवा सुता (पुत्री) को जन्म दिया हो ।

 

# ‘वीर प्रसू’  उस माँ को कहा जाता है जो वीर संतान को जन्म दे ।

 

# पृथ्वी को भी ‘रत्नसू’ कहा गया है क्योंकि यह रत्नों को जन्म देती है । वैसे,  जब तक रत्न पृथ्वी के गर्भ में है तब तक पृथ्वी रत्नगर्भा है,  जब रत्न को बाहर निकाल लिया गया तब वह रत्नसू हो गई।

 

#अंबा शब्द भी माता का पर्याय है । पार्वती के लिए भी यह शब्द प्रयुक्त होता  है ; जो प्रकृति की पर्याय हैं ।

# इस तरह अंबा कहने से माँ के साथ जुड़ा आध्यात्मिक तत्व उद्घाटित होता है ।

 

# प्रकृति अर्थात पार्वती तत्व जो हर माँ के अंदर है । अंबा से महाभारत की महानायिका अंबा के गुणों वाली शक्ति रूपा माँ  का नाम स्मरण होता है ।

 

# आरती “जय माँ अम्बे गौरी” या फिर “अंबे तू ही जगदम्बे माता”  में इसी कारण अंबा शब्द प्रयुक्त हुआ है। 

 

# वैसे 'अंब' आम को भी कहते हैं । 

 

# आम के रस को धूप में सुखाकर बनाया गया पापड़ अमावट आदि को अंबपाली भी कहते हैं ।

 

# अंबा के लिए जनन करना आवश्यक नहीं, जबकि  जननी के लिए है। दुर्गा माँ को माँ अंबा कह सकते हैं लेकिन जननी नहीं । हाँ, जैसा कि हमने देखा कि अंबा प्रकृति तत्व हैं, सृष्टि की निर्मात्री हैं, तो उन्हें जगज्जननी कहते हैं ।

 

#  वैसे जननी शब्द से मिलता जुलता एक शब्द है 'जनानी'  ।

 

# जननी का अर्थ है जो जन्म दे ; जनानी का अर्थ है वह जिसमें 'जनानापन' हो , स्त्रियोचित गुण हो।

 

# भाषा विज्ञान के अध्येता यह जानते हैं कि माँ के लिए संसार भर में प्रयुक्त होने वाले संबोधनों (विविध भाषाओं में ) में बहुत साम्य है, वे सभी काफी मिलते -जुलते हैं ।

 

# संस्कृत का मातृ शब्द हो,  फ़ारसी का मादर हो , ग्रीक का meter हो, अंग्रेजी का mother हो या पारसियों का मातर हो;  सभी आपस में एक जैसे हैं ।

 

# भाषा विज्ञान के अनुसार ‘म’ एक नैसर्गिक और आरंभिक ध्वनि है । 

 

# आप सब ने यह महसूस किया होगा कि बच्चा जैसे ही बोलना शुरू करता है म्,  मम, ममम, अम्म, अम्मा आदि ध्वनि उत्पन्न करता है ।

 

# अगर देखा जाए तो यह सिद्धांत सही प्रतीत होता है कि बच्चे के द्वारा प्रयुक्त सबसे प्रमुख ध्वनि उसकी माँ के लिए संबोधन सूचक शब्द होता है ; और उसी से हर भाषा  में माँ के लिए प्रयुक्त शब्द की व्युत्पत्ति या निर्मिति होती है । 

 

# भारतीय संस्कृति में सृष्टि को माँ कहा गया है ।

# माँ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत धातु ‘मा’ से मानी जाती है ।

 

# ‘मा’ धातु निर्माण सूचक या निर्मित्ति का द्योतक होता है ।

 

# माँ शब्द किसी बच्चे द्वारा अपने मूल ,अपनी जननी  के लिए संबोधन सूचक है ।

# शास्त्रों में  माँ को ममता की मूर्ति कहा गया है ।

इस धरती पर आप से अगर किसी को सबसे अधिक लगाव है तो वह आपकी माँ है ।

 

# भाषा शास्त्र के चश्मे से मैं इसे देखता हूँ ,तो मुझे ऐसा लगता है कि कोई संतति (बालक या बालिका) अपनी माँ का ही विस्तार होती है ।

 

# बच्चा अपनी माँ का ही अंश होता है, इसलिए माँ को उससे ममता  होती है ।

 

# ममता शब्द ‘मम’ धातु से बना है । ‘मम’ का अर्थ मेरा होता है । इस तरह, ममता का अर्थ हुआ -  जो मेरा है , मेरापन का बोध ।

 

#  लेकिन जिसे हम ममता की मूर्ति कहते हैं वह ममता, वह  अपनेपन का बोध माँ की आवश्यकता भी है , क्योंकि माँ के लिए ममता का अर्थ है - मेरा बेटा / मेरी बेटी । लेकिन यह भी सच है कि ममता होना उतनी बड़ी बात नहीं जितनी बड़ी बात है ‘मातृभाव’ का होना ।

 

#  अपने बच्चे के लिए तो सिंहनी भी अहिंसक होती है । जिन दाँतों से वह बड़े-बड़े जानवरों का खून पी जाती है ,उन्हीं दाँतों से अपने शावकों को एक जगह से दूसरे जगह सुरक्षित ले जाती है ।

 

#  इससे यह प्रतीत होता है कि हर माँ का अपनी संतति के लिए ममता होना स्वाभाविक है ।

 

# ‘मातृभाव’ इससे बड़ी बात है जिसका अर्थ है स्नेह और वात्सल्य की मनोदशा ।

 

#  प्रकृति को मातृशक्ति इसी अर्थ में कहा जाता है कि वह कोई भेदभाव नहीं करती, सबके लिए उपलब्ध रहती है ।

 

# एक तरह से देखा जाए तो ममता बाँधती है,जबकि मातृभाव प्रेम लुटाती है - बिना आकांक्षा के ।

 

# घरों में आप देखते होंगे कि कभी-कभी बच्चे  माँ से ही लड़ने लगते हैं कि तुम मुझे कम मानती हो ...दूसरे भाई  या बहन को ज्यादा मानती हो ।

 

# इसके पीछे, हो सकता है कि बच्चे की यह अवधारणा हो कि माँ की ममता निःस्वार्थ नहीं, एक बंधन है । जो बच्चे ऐसा सोचते हैं वे कभी-कभी माँ को सता लेने का सुख लेने लगते हैं।

 

# कहते भी हैं कि ममता जब समता खो दे (मतलब सबके लिए एक समान न रहे), तो वैमनस्य और संघर्ष होता है ।

 

# एक  छोटा शिशु  माँ का संपूर्ण समर्पण और त्याग लेता है बदले में माँ का मेरापन संतुष्ट होता है।

 

# शिशु के बड़े होते ही निर्भरता घटती है तो मेरेपन का भाव भी प्रभावित होता है । यही माँ-पुत्र या माँ-पुत्री  के रिश्ते में तनाव की वजह बनता है । फिर बेटी किसी और द्वारा ले ली जाती है , स्वयं नहीं जाती तो बेटी के प्रति ममता दुबारा बढ़ती  है। (अगर बेटी स्वयं छोड़ जाए तो ममता आहत होती है ।)

 

# बेटा किसी और को लाकर माँ के सामने ही जब माँ की जगह उस पर निर्भर होने लगता है तो माँ को कुछ छूटता हुआ प्रतीत होता है ; जिससे वह कुछ परेशान भी होती है ।

( ये मेरे विचार हैं, आपको असहमत होने का अधिकार है ।)

 

# कल  हमने यह भी देखा कि माँ एक संबोधन सूचक शब्द है जो जननी के लिए जातक द्वारा प्रयुक्त पहला संबोधन होता है । यह सिर्फ एक भाषा की स्थिति नहीं है ,दुनिया की लगभग हर भाषा में यही स्थिति है।

 

# माता शब्द माँ के लिए संबोधन सूचक है ,यह किसी भी मातृवत् महिला के लिए प्रयुक्त हो सकता है ।

 

# अंबा शब्द के तद्भवीकरण की प्रक्रिया से अम्मा शब्द की व्युत्पत्ति हुई ।

 

# देवी के रूप में  मातृशक्ति को जगत-माता या जगन्माता कहा जाता है ।

 

# मात, मातु, माता से निर्मित ‘मातुल’ का अर्थ मामा होता है । वस्तुतः यह माँ तुल्य का तद्भवीकरण है ।  

 

# माँ तुल्य अर्थात माँ के बराबर ।

 

#  मामा शब्द भी दो बार मा से बना है अर्थात माँ के जैसा ही है ।

 

# मामी के लिए हिंदी में मातुली, मातुलानी, मातुल आदि शब्द के मूल में भी मात ही है ।

 

# माता के पिता को मातामह कहा गया ।

# माता की माता को मातामही कहा गया ।

 

 # माई की व्याख्या करते समय हमने देखा था कि माई  किसी भी मातृवत् महिला के लिए संबोधन किया जाने वाला एक देशज शब्द है ।

 

#माई से शब्द बना ‘माई का’ (माईका या मायका)।

 

#  इस शब्द को समझें । जब कोई लड़की किसी से शादी कर किसी की ब्याहता बनती है और  उसके (आने पति के)  गृह आ जाती है तब भी उसके अस्तित्व में उसकी माँ बनी रहती है । अपने माई का घर उसे बुलाता रहता है और इसलिए इसके लिए यही शब्द ही बन गया -माई का या माईका या मायका ।

 

 # किसी महिला का मायका उसके बच्चों के लिए नानी का घर होता है ( नाना उतने महत्वपूर्ण नहीं होते) इसलिए यह बच्चों का ननिहाल हुआ यानी माई की माई का घर।

 

# आपका ही,

   कमल