माँ

 















*"माँ"*

 

पतझड़ में बहार,

प्रकृति का उपहार,

मान का मान,

शीतल बयार,

ठण्डी फुंहार,

मन की मनुहार है मां।

 

हीवडें हूंकार,

प्राणों की प्राण,

मन चाही मुराद,

स्वर्ग का श्रंगार,

मन शुद्ध सार,

जीवन धन,

प्राणाधार है मां।।


 

 



 



 















ReplyForward













 

 








 

 







 







 




 





 



 




No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular