स्वदेशी 

 

श्याम  मठपाल 

 

भारत को बचाना है, स्वदेशी को अपनाना है

अपनी माटी पुकार रही,भारत को उठाना है

 

 

उद्योग धंधे बंद हैं

सब फिक्रमंद हैं

मांग जो आने लगे

फिर चंद दिन हैं

 

हमे नहीं घबराना है, भारत को बचाना है

 

आओ खाएँ हम सपथ

स्वदेश के लिए है पथ

स्वदेशी को अपनाकर

अपनी ही होगी छत

 

दुनियाँ को दिखाना है,भारत को बचाना है

 

उपयोग जो भी हो

उपभोग जो भी हो

देश में ही बने

सहयोग जो भी हो

 

अपना अब जमाना है, भारत को बचाना है

 

उद्योग व्यापार चलेगा

सबको रोजगार मिलेगा

होंगे हम आत्मनिर्भर

देश का पैसा बचेगा

 

ये नया तराना है, भारत को बचाना है

 

मोबाइल या कार हो

घड़ी या औजार हो

सब वस्तु यहीं बनें

अपना कारोबार हो

 

नहीं हमें घबराना है, भारत को बचाना है

 

विदेशियों ने हमको लूटा

गर्दिश में हमसे रूठा

गुलाम बनाने की साजिश

अब उनका भरोसा टूटा

 

सबको ये बतलाना है, भारत को बचाना है

 

हर हाथ को काम मिले

हर हुनर को दाम मिले

बुद्धि-बल में हैं अनुपम

आत्म-बल का पैगाम मिले

 

ढूंढना हमें खज़ाना है, भारत को बचाना है

 

आई ये संकट की घड़ी

चुनौती ये बहुत बड़ी

अब जागो देशप्रेमी

तोड़ दो परतंत्र कड़ी

 

सबको ही समझाना है, भारत को बचाना है

 

देश में बना सामान हो

अपना स्वाभिमान हो

सुई से लेकर प्लेन तक

हर दिल में हिंदुस्तान हो

 

अब न कोई बहाना है, भारत को बचाना है

 

न खरीदें न बेचेंगे

भारत की ही सोचेंगे

परित्याग विदेशी वस्तु का

इच्छाओं को हम रोकेंगे

 

नया सपना जगाना है, भारत को बचाना है  ।

 

श्याम मठपाल, उदयपुर