कोरोना की महामारी और गलवान घाटी में बलिदान वीरों का देखकर अब क्या श्रृंगार लिखूं किसका मैं निखार लिखूं छोड़ कर पत्नी को प्रीतम देश खातिर बलिदान हुआ शहीद होकर के वो देश की शान हुआ नाम अपना कर गया घाटी में लहू बह गया तब कैसे कोई श्रृंगार लिखे अब आँखों से सिर्फ अंगार दिखे आज बिंदी ,काजल, नैना इन सब को छोड़कर जोर से हल्ला बोल कर हमें चीन को ललकारना है करके उसका बाजार बंद हमको अब मारना है याद करते है उन सैनिकों को जो देश खातिर डटे रहे पीछे नहीं हटे उनसे वे अड़े रहे इस जोशो जुनून को बरकरार रखना है अपने बेटे को भी तिलक विजय का करना है इस वेला मैं बोलो श्रृंगार कैसे लिखूं शहीद सैनिको को आज मैं नमन लिखूं दीपा परिहार जोधपुर |
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