दोहे 

 

आँखों से नदी बहती , आँखों में समंदर 

आँख से तूफान उठे , आँखों में बवंडर 

 

झील सी गहरी आँखें , इसमें डूबे जांय

डूब कर जिंदगी मिले, कौन उसे समझाय

 

आँखों में ममता भरी , आँखों में ही क्रोध 

आँखों से दया छलके, आँख से प्रतिशोध 

 

आँखों से तीर चलते ,आँखों से ही वार 

आँख में कोई बसता,आँखों से ही प्यार 

 

आँख से आंसू बहते , दर्द का होय बखान 

आँखों से ख़ुशी झलके, कौन अभी अंजान

 

आँखें मूक की भाषा ,आँख करे निवेदन 

आँख से करे इशारा ,आँख का संवेदन 

 

आँख से ज्वाला फूटे ,आँख से बहे नीर 

आँखों से दर्द झलके, आँखें कहती पीड़

 

सीमा की रक्षा करते , ये दो सुंदर आँख 

सदा ही चौकस रहते, अगल बगल में झांक 

 

शयाम मठपाल ,उदयपुर