मन में हैं विश्वास






मन में हैं विश्वास

 

        मन में है विश्वास 

        आज जगी है आस

 

कोयल न मिले कागों में 

बेसुरे हो न रागों में 

कभी न उलझें तागों में 

पड़े न गांठें धागों में 

लाज रखेंगे पागों में 

पड़े न काले दागों में 

जहर मिटेगा नागों में 

फूल खिलेंगे बागों में 

          मन में है विश्वास 

          आज जगी है आस

 

हर वक्त वह साथ होगी 

मैं डाल वह पात होगी 

चांदनी सी रात होगी 

अपनी मुलाकात होगी 

कोई करामात होगी 

मुहब्बत की बात होगी 

मंजिल आज हाथ होगी 

जग में एक जात होगी 

            मन में है विश्वास        

            आज जगी है आस 

 

कभी न कहीं हो मजबूर 

भूखे न सोए मजदूर 

पास रहेगा कोहिनूर 

होंगे न हम तो मगरूर 

न दिल टूटे न रहे दूर 

सब में हो प्रेम भरपूर 

बदला लेंगे हम जरूर 

दुश्मन होगा चूर-चूर 

            मन में है विश्वास 

            आज लगी है आस

 

छगनराज राव "दीप"

 जोधपुर


 

 



 



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