नरूकेगा नझुकेगा, वो सैनिक मेरेदेशका वह जो सीमा पर खडा़ है, वह मेरे देश का सैनिक है, मेरे देश का सैनिक हमारा गर्व है, हमारी आन-बान और शान है, वह भी किसीका बेटा, भाई, पति और पिता है, लेकिन इन सारे रिश्तों से ऊपर उठकर, वह देश के साथ गठबंधन बांध लेता है, तिरंगे के सम्मान की खातिर, जान की बाजी लगा देता है, पर हम क्या उन्हे सही सम्मान दे पाते है? कितना बडा दुर्भाग्य है जब बेवजह हमारा एक सैनिक शहीद हो जाता है कुछ घुसपैठिये आकर पीठ में छुरा भोंक देते है, कुछ पत्थर मारते है और कुछ गर्दन काट ले जाते है, और हम नागरिक उस समय क्या कर रहे होते है? हम उस समय घरों में चैन की नींद सो रहे होते हैं, और उसी समय उस सैनिक का परिवार रात-दिन उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना कर रहा होता है, उसके घर जल्दी लौट आने की ईश्वर से दुआ मांग रहा होता है, क्या हम उस परिवार की पीडा़ को सांझा कर पाते है, उनके दुःख को अपना दुःख मान पाते है, याद रखिये हमारे सैनिक ही हमारे असली नायक है उनका त्याग ही हमारा अभिमान है वही भारत माता कें सच्चे सपूत है। जय हिंद-जय हिंद-जय हिंद। ....... ... मंजू लोढा़ |
नरूकेगा नझुकेगा, वोसैनिक मेरेदेशका
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