संस्कार
जनवरी की भरी सर्दी में जब मेरी बिटियाँ ने स्वेटर उतार उसे ऊपर की ओर लहराते हुए, आँखे कमर मटकाते हुए, व "आँख मारे वो लड़का आँख मारे" गाना गाते हुए घर में प्रवेश किया तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना ही ना रहा। कि ये क्या गा रही हैं? व कहा से सीख कर आई हैं? फिर भी उस फिल्मी गाने को ध्यान से सुना कि कही मेरे सुनने में तो कोई त्रुटि ना रह गई। पर मैं ठीक ही सुन रही थी। गाना वही था। इस पर मेरे पूछने पर उसने बताया कि माँ हमारे स्कूल में 26 जनवरी को एक बहुत बड़ा फंक्शन होने वाला हैं। मेरी मेम ने मुझें भी डांस करने के लिए सलेक्ट किया हैं। मैं भी स्टेज पर डांस करूँगी। मै उसकी खुशी देख कर असमंजस में पड़ गई कि इस कि खुशी में शामिल होऊँ या इस असभ्य गीत जिसे की इस कच्ची उम्र के बाल मन को सिखाया जा रहा हैं। पर खेद प्रगट करूँ। सोच रही थी कि ये पीढ़ी क्या सीख कर आ रही हैं। विद्यालय में जो कि विद्या का मंदिर होता हैं। में क्या संस्कार दिए जा रहे हैं! सब कुछ समझ से परे था। खेर धैर्य धर शांति से विचार किया कि अब इस बाबत करना क्या चाहिए। कुछ देर बाद ध्यान आया कि क्यों ना सीधे ही विद्यालय की प्रधानाचार्या से बात की जाय अतः उन्हें व्यक्तिगत संपर्क कर इस बाबत चर्चा की व गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में गीतों का स्तर सुधारने हेतु निवेदन भी किया पर उनके प्रतिउत्तर से भी निराशा ही हाथ लगी। उनका कहना था कि मैडम आज कल ऐसे ही गानो का चलन हैं। आप विद्यालय के कार्यो में दखल न ही दें तो बेहतर रहेगा। अब मेरी चिंता अधिक बढ़ना स्वाभाविक था। खेर फिर मेरी एक मित्र जो कि समाज सेविका हैं। उनसे संपर्क कर सारी बात बताई उन्होंने जो आश्वासन दिया उस से कुछ राहत मिली इतने में ही पतिदेव भी कार्यालय से घर आ चुके थे। चाय नाश्ते के उपरांत इन्हें सारी बात बता कर इनके साथ समाजसेविका मित्र के घर पहुँच गई उन्होंने फोन पर ही आला अधिकारियों से संपर्क कर सारी स्थिति समझा कर बाल मन पर होने वाले विपरीत असर व कुसंस्कारो का हवाला देते हुए हुए विद्यालय में ऐसे गीतों के स्थान पर देश भक्ति गीतों पर कार्यक्रम करवाने के आदेश जारी करवाने हेतु मना लिया। मेरी इस खुशी का ठिकाना ना रहा। अगले दिन मैं मेरे पति मेरी समाज सेविका मित्र व एक अधिकारी विद्यालय में पहुँच गए व विद्यालय के प्रत्येक समारोह में होने वाले कार्यक्रमों के विषयों व गीतों का स्तर देशभक्ति, ऐतिहासिक, अथवा लोक संस्कृति का ही चुनाव करने का 100% आश्वासन प्राप्त कर निश्चिंतता के साथ घर लौटी मेरी खुशी अपार थी। तीसरे दिन जब बिटियाँ घर लौटी तो उसके होठों पर नन्हा मुन्ना रही हूँ देश का सिपाही हूँ बोलो मेरे संग जय हिंद जय हिन्द जय हिंद गीत सुन कर मैं भी खुशी से झूम उठी।
पूर्णिमा शर्मा अजमेर राज.
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