तय है






तय है

 

हिरण सोने का चाहेगी जो सीता

बिछुड़ जाएंगे उससे राम तय है।

हरेगा चीर यदि कोई दुःशासन

बढ़ाने चीर फिर                     

घनश्याम का आना भी तय है।।

बंधेगा सेतु पर यदि फिर से बंधन

किसी रावण का मिट जाना भी तय है।

रचेगा फिर से यदि कोई द्यूत क्रीड़ा

सहेगा फिर युधिष्टिर घोर पीड़ा।

बचेगा ये पुनः मारीच कब तक

रहेगा खोह में सुग्रीव कब तक।

जनम लेकर मिटाने सबकी पीड़ा

किसी भगवान का आना भी तय है।।

कोई अर्जुन हटेगा रण से पीछे

तो गीता ज्ञान,धर्म प्राण की रक्षा के हेतु

पुनः सृष्टि का नव निर्माण तय है।

रहेगी धर्म ध्वज ऊँची सदा ही

वरन फिर आन की खातिर

जहाँ की शान की खातिर

फटेगी फिर धरा एक बार और

उसमे

सीता का समा जाना भी तय है।।

:---रामप्रकाश अवस्थी(रूह)

     जोधपुर, राजस्थान🙏


 

 



 



No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular