उनकी जयकार लिखूं
बीस शव सीमा पर शहीदों के थे शांत पड़े,
वीरों की शहादत पर मचा हाहाकार लिखूं ।
तिरंगे में लिपटे हुए आए थे जवान घर,
पूरा गांव बोल उठा उनकी जयकार लिखूं ।
चायना के सैनिकों को मारकर शहीद हुए,
दुखी हैं पर गर्व में है उनका परिवार लिखूं ।
शहीदों की पत्नियों ने खुद ही शृंगार फेंके,
आप ही बताइए मैं अब क्या शृंगार लिखूं ।
रामबाबू शर्मा 'अकिंचन'
जयपुर
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