ग़जल
मौसम को मिजाज बदलते देखा,
तारों को चाल बदलते देखा ।
अहसास जब खास हुये ,
अपनों को चाल बदलते देखा ।
जान छिड़कते थे नाजों पर ,
भौंह सिकोड़ते उनको देखा।
आँख इशारों से जो चलते ,
आँख फेरते उनको देखा ।
बात वफा की जो करते थे,
उनको हरजाई बनते देखा ।
बात बात पर शीश झुकाते ,
सिर उठाते उनको देखा ।
पदम प्रवीण
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