जो ना सुनी वो बाँचता हूँ मैं

       
          जो ना सुनी वो बाँचता हूँ मैं



      . कथाएं बताती हैं रोचकता से कई प्रसंग
         जीवन के बाह्य और भीतरी कलेवर के
            कथा  में छिपे काव्य को उकेरती हैं
   .        काव्य  में बसी भाषा  को संवारती है।
             सतयुग से लेकर कलयुग तक.....
             बाँची गई, संवरती रहीं, रचती रही अपनी छवि
          नव युग है, नव काल है, नवबंधन हैं नयी है चाल कथाओं
              की।।
                     कथा हूँ मैं बाँचता आज नयी
          गर्भावस्था में खिलती कन्या भ्रूण की
            कन्या जो कथाओं में पूजित है ।
          तस्वीरों में सौंदर्य का प्रतिमान है।
      पर कथा का सत्य कौन बाँचता है!
      प्रथम  माह से चिंतित घर बाहर सब
      बेटी ना हो पहली, बेटा हो जाए ,चिंता मिट जाए
       माँगे मन्नतें, बाँधे धागे, पूजे लोक- देव सभी
        गर्भ में पलती  मैं सोचती बार- बार
       कोई तो दिखाओ मुझे भी उत्साह
  ..    क्या! प्रफुल्लित मन, बाँहे पसार,होगा उसका स्वागत
           इस काल ।।।।
                कथा हूँ मैं बाँचता वृक्षों के दर्द की
          पूजित जो त्योहारों में, वर्णित जो काव्यों में,सजाते संसार
           जीवों का आधार, प्रकृति का श्रृंगार, पाखियों का बसेरा
           पर बाँचनी है कथा भीतर के घात की
           मानवीय शैतान की, काटता जो असंख्य पेड़ लालसा में
          भोजन,कागज ,घर या व्यापार का नाम ले
      नोचता, काटता, भस्म करता,  हमारा हरियाला शरीर
       नीम, पीपल, आम, वटवृक्ष, बन देते  हम सर्वस्व
         पर दंभ में चला कुल्हाड़ी, भेदता ड़ाली- ड़ाली
        नुकीले वारों से रक्तरंजित  मेरा हर पात
       वृक्षहीन होगी जब धरा ,  तुम सब पछताओगे
        मेरे चित्र तब किताबों में पाओगे।।
   .       .कथा हूँ बाँचता मैं अब निराली
         है कथा यह मेरी गीले भावों वाली
    माँगते सब प्रभू से घर का चिराग, आँगन की कली
       पर देखते जब कुछ कम है अंग प्रत्यंग में
       आँख, कान ,हाथ ,पैर या दिमाग से कमजोर
    मरती तुरंत सारी संवेदनाएं, भावनाएं  खून के रिश्तों वाली
       पहले विकलांग अब दिव्यांग बन गया हूँ मैं
    बचपन में ही सीखा  , असल नकल का फर्क
    शून्य का भी महत्व मानता है गणित
      पर एक कम स्वीकार नहीं करता  जगत
   बाँचना चाहता हूँ अपनी कथा प्यार,प्रीत, हिम्मत और
        खुशियों वाली
       कथा जो ना सुनी वो बाँचता हूँ मैं।।

      
           ड़ा.नीना छिब्बर। 
              17/653
     ....चोपासनी हाउसिंग बोर्ड
           जोधपुर


 

No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular