कर्मपथ

कर्मपथ

 

कुछ 

कंकड़ मिलेंगे

तुम्हें

रास्तों पर

शूल की तरह

चुभेंगे भी

कुछ दूर तक

मैं 

तुम्हें बचाती रहूंगी

फिर तो

अकेले ही चलना पड़ेगा

कभी 

मखमली घास भी मिलेगी

लहूलुहान तुम्हारे पांवों को

तब मिलेगा मरहम

पर

उन कंकड़ों से भरे कर्मपथ पर

चलने के बाद ही

तुम जी सकोगी ज़िन्दगी

महसूस कर सकोगी

छोटी - छोटी 

सफलताएँ

बातें कर सकोगी

ख़ुद से

ख़ुदा से

और 

खिलखिलाती 

ज़िन्दगी से ।

 

सारिका भूषण 

 

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