ख़ुशी रच दोगे क्या?

 


ख़ुशी रच दोगे क्या?


ये जो गगनचुंबी इमारत बना रहे हो तुम
किस मनसूबे को अंजाम दे रहे हो तुम
किसी बेघर को पनाह दोगे क्या?
तुम्हारे घर मे बहुत स्वादिष्ट भोजन है
किसी भूखे को खिला दोगे क्या?

मंदिरों में , मस्जिदों में,
अपने-अपने इबादत खानों में,
दान- दक्षिणा और चढ़ावा
ख़ूब करते हो, पर
किसी भिक्षुक की आंखों में
ख़ुशी रच दोगे क्या?

वो जो कचरे के ढेर पर
कबाड़ चुनता बच्चा है-
हाथ में प्लास्टिक की एक थैली लिए
उसका दाखिला किसी स्कूल में करा दोगे क्या?

नारी सशक्तिकरण की बात करने वालों
बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा देने वालो
तुम अपनी ही बेटी को
स्वच्छंद उड़ान उड़ने के लिए छोड़ दोगे क्या?

सिफारिश पर हर काम कराने वालों
हरेक काम का दाम लगाने वालों
दौलत की मंडी में इंसान को बेवकूफ समझने वालों
मानवता को जिंदा रहने दोगे क्या ?
मनीष कुमार 


 


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