विज्ञापन में बिकती नारी

विज्ञापन में बिकती नारी

प्यार की पुकार नारी
शोषण की शिकार नारी।
कभी मजबूर कभी मगरूर
विज्ञापन में बिकती नारी।

परिवार का सम्मान नारी
संस्कृति की पहचान नारी।
बन रही है भूल भुलैया।
विज्ञापन में बिकती नारी।

बच्चों की फरियाद नारी
रिश्तो की बुनियाद नारी।
भूल रही है संस्कार अपने
विज्ञापन में बिकती नारी।

शान शौकत और श्रंगार नारी
कभी मासूम कभी दहकता अंगार नारी।
फैशन की चकाचौंध में
विज्ञापन में बिकती नारी।
     विज्ञापन में बिकती नारी।।

द्वारका गिते


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