कभी-कभी जिंदगी क्यों कभी-कभी ये जिंदगी हैवान सी लगती है क्यों कभी-कभी जिंदगी परेशान सी लगती है।। कभी दवा तो कभी दुआ तो कभी हैरान सी लगती है क्यों कभी-कभी ये जिंदगी हैवान सी लगती है।।2।। ज़ख़मी शायर के शब्दों मे कुछ ये जिंदगी पैगाम सी लगती है कभी घायल तो कभी मलहम लगा ये शब्दों की दुकान सी लगती है।। क्यों कभी-कभी ये जिंदगी हैवान सी लगती है।।2।। क्यों खुशी के दो पल बाद ही ये जिंदगी दर्द-ए जाम की महफ़िल सी सजती है।। क्यों फिर हर रात ये जिंदगी काग़ज कलम के नाम से ही फबती है।। क्यों कभी-कभी ये जिंदगी हैवान सी लगती है।।2।। मुस्कुराहट के नाम पे ये जिंदगी आंसुओं के सैलाब संग बरसती है सुकून,खुशी,मुस्कुराहट के लिये अब ये जिंदगी तरसती है।। क्यों कभी-कभी ये जिंदगी हैवान सी लगती है।।2।। वीना आडवानी नागपुर, महाराष्ट्र *************** |
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