मनन चित्त का
हर पेड़ फल दे
जरूरी नहीं है
छाया भी तो बड़ी
सुकून दे देती हैं।
विचार वश में रखोगे
शब्द बन जाएँगे देखोगे
शब्दों को वश में रखोगे,
कर्म वे बन जाएँगे।
कर्मों को वश में रखोगे,
आदत बन ही जाएँगे।
आदतों को वश में रखोगे,
चरित्र बन ही जाएगा।
चरित्र वश में रखोगे,
भाग्य बन ही जायेगा।
चरण मंदिर तक जाएँगे,
आचरण बन ही जायेगा।
शब्द ब्रह्म,शब्द नाद सौंदर्य ,
शब्द शब्द में भाव औदार्य।
देह नश्वर हैं कर मन धैर्य,
शब्द ही देंगे ओज शौर्य।
नीलम मन में आस धरे,
शब्द सम्पदा उसे निहाल करे
जगती के कर्म सभी पूर्ण करे,
शब्द साधना सम्पदा अमर करें।
ओ जग नियन्ता,मैं अर्ज करू,
साहित्य साधना कर्म करू।
लेखन धर्म में जीवन अर्पण करू
लेखनी आपको समर्पण करू।।
ॐ कार प्रणवाक्षर,, चित्त धरू,
ध्यानानन्द में नित विचरु।
सहजयोग,सर्व समर्पण करू
हे दाता,, तन मन अर्पण करू।
विनय प्रभु से
निष्काम कर्म अर्चना
नीलम व्यास
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