नारी का सम्मान
पुरुषों के हर एक क्षेत्र में
नारी का विशेष स्थान उसके जीवन में
जन्म से मरण तक रहता उस पर निर्भर
जन्म दे बहन लाती उसके जीवन में
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कोई कसर नहीं छोड़ती उसके पालन-पोषण में
रात रात भर जगती उसकी बीमारी में
कुछ पुरुष सब भूल करते अत्याचार
ना दूजा शानी उसके फर्ज निभाने में
कुछ पुरुष ना कसर छोड़ते उसे रुलाने में
किसी भी रूप में पुरुष का हाथ उसके दर्द में
पति दोस्त अंकल किसी उम्र में करते अत्याचार
छह मास की बालिका भी दिखती नारी रूप में
लज्जा न आती करने भयंकर अंजाम में
निकल योनि से दूध उसी का पी पोषण में
फिर उन्हीं दो अंगो पर रखें बुरी नजर
पुरुष भी लज्जित होते उनकी कुत्सित सोच में
संभव नहीं कोई माँ रूप ऋण चुकाने में
पूरा जीवन लगता नारी को सम्मान पाने में
समझे पुरुष इस बात को फिर भी जरूरी नहीं
नारी ही बने नारी की दुश्मन जीवन में🦚
कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जिससे हो वो दूर
दुनियाँ लोहा मानती देख काम हो जाती मजबूर
विभिन्न रूपों में घर आंगन की है वह शान
दो उसको लाड प्यार सम्मान भरपूर🦚
🦚
अलका जैन
मुंबई
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