प्रवेश वर्जित
रज्जो भी नीच कुल मे जन्मी लड़की थी। उसे भगवान मे बहुत आस्था थी। पर गाँव के पास बने मंदिर मे वह जा नही सकती । बड़े जाति के लोगो का मानना था कि नीच कुल मे जन्मे लोग अगर मंदिर मे पाव रखा तो मंदिर अपवित्र हो जाऐगा।
रज्जो बाहर से ही मंदिर की सुंदरता देखती पर जब भी सोचती मंदिर मे जाने की तो माँ हाथ पकड़ लेती।
एक दिन तेज वर्षा होने लगी रज्जो खेत मे कामकर के घर लौट रही थी। वर्षा इतनी तेज थी कि सामने मंदिर को देख वह रुक गई। माँ दुर्गा की सुंदर प्रतिमा देखकर मंत्रमुग्ध हो गई। उसने माँ के चरणो मे माथा टेका और वही बैठ गई। और उसकी आँख लग गयी।
अचानक आवाज से नीद खुली तो देखा। मंदिर के पूजारी और बड़ी जाति के लोग उसे घेरे हुऐ है। वह डर गई सब लोग उसे गुस्से से देख रहे थे।
ऐ लड़की तुने आज मंदिर मे प्रवेश कर मंदिर को अशुद्ध कर दिया। क्या तुम्हे पता नही नीच कुल के लोगो का मंदिर मे प्रवेश वर्जित है।
रज्जो डरते हुए कहा साहब आप लोग मंदिर मे पूजा कर सकते पर हम क्यो नही कर सकते। बस इसलिए कि हम नीचकुल मे जन्म लिए है। मै ऐसी कुरूतियो को नही मानती।
ये कल की छोरी बहुत जबान लड़ाती है जब इसको इसके किये की सजा मिलेगी तब समझ आयेगा।
तब तक रज्जो के पिता आते है। अरे मालिक माफ कर दे छोरी को अब ये गलती कभी नही करेगी।
देख दीनूवा अभी बस तेरा मुंह देखकर इसे माफ कर देता हू। वरना अगली बार इसके किये पर हम सजा देगे। सारे लोग चले जाते है।
बाबा आपने माफी क्यो मांगी मैने कोई गलती नही की है। जानता हू पर हमारी गलती यही है कि हमने नीचकुल मे जन्म लिया। हमे कभी बराबरी दर्जा नही मिलेगा हम हमेशा इसी तरह गुलामी करते रहेगे। चल घर चल अब
एक बार गाँव मे सूखा पड़ा सारे कुए सुख गए बड़े जाति के लोग पानी के लिए तिल-तिल मरने लगे। पर नीच कुल के एक कुऐ मे पानी अब भी था। चाहे कितने भी सूखे पड़े पर उस कुऐ मे पानी भरा ही रहता।
अब बड़ी जाति के लोगो के पास एक ही विकल्प था कि वह नीचकुल के कुए से पीने के लिए पानी लाऐ। पर क्या वह हमे पानी देगे हमने तो उनका मंदिर मे प्रवेश वर्जित कर रखा है। इस तरह मरने से अच्छा है हम उनसे विनती कर पानी लेले।
जब गांव के लोग उनके पास पानी लेने गऐ तो सबने मालिक की मदद की बिना कुछ कहे उन्हे पानी भरने दिया। पूजारी की नजर जब रज्जो पर पड़ी तो वो मुस्करा रही थी। जैसे कह रही हो कि "देखो पूजारी आज आपके भगवान हमारे गाँव का ही पानी पिऐगे।
उस दिन के बाद गांव के लोगो का हृदय परिवर्तन हुआ और मंदिर पर लगे बोर्ड कि "नीचकुल प्रवेश वर्जित" का बोर्ड हट गया।
नलिनी मिश्रा द्विवेदी
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