मा से मायका

 

दोनों बहने व्यवसायियों के यह ब्याही थी ,बड़ी के घर का व्यवसाय ऐसा चला कि वह बहुत अमीर हो गई मगर छोटी बहन के घर का व्यवसाय घाटे में होने से उनका जीवन स्तर काफी नीचे आ गया था

मगर जब भी दोनों बहने अपने मायके आती तो माता-पिता दोनों को एक जैसी साड़ी बच्चों को एक जैसे कपड़े दिया करते थे पिछले साल माता की तबीयत थोड़ी खराब हुई और वह अचानक ही चल बसी, पिताजी उनके गम को ज्यादा दिन सहन नहीं कर पाए और अगली बरसी मां की आते-आते पिताजी भी चल बसे

दो रक्षाबंधन तो ऐसे ही बीत गए तीसरे साल जब दोनों बहने मायके में आए तो बड़ी बहन भाई नतीजों के लिए ढेर सारे तोहफे लेकर आई थी भाई भतीजे पहन कर उन्हें खूब शोर मचा रहे थे कह रहे थे मेरा वाला सुंदर यह बहुत अच्छा है बुआ आप बहुत अच्छा लेकर आए, मगर छोटी बहन बेहद उदास थी क्योंकि उसकी इतनी हैसियत नहीं थी कि वहां कुछ ज्यादा सामान भाई भतीजे के लिए ला पाती

सबसे दुखद बात तो तब हुई जब दोनों बहनों की विदाई की गई तो छोटी बहन ने देखा की बड़ी बहन की व उनके बच्चों के सभी कपड़े ब्रांडेड थे और छोटी बहन की दोनों बच्चों की व उनकी साड़ी भी डुप्लीकेट सिल्क की थी यह देख कर छोटी बहन की आंखों में आंसू आ गए मगर उसने कुछ ना कहा, मां के रहते उसे कभी यह एहसास नहीं हुआ था कि वह किसी तरह से आर्थिक रूप में कमजोर है , क्योंकि उससे सबका प्यार वैसा ही मिलता था जैसा बड़ी बहन को

छोटी बहन सोच रही थी की अर्थ इतना शक्तिशाली होता है कि वह एक ही गर्भ में पैदा होने वाले भाई-बहनों की सोच को एक दूसरे के प्रति अलग अलग कर दें आज से मां पिता की बहुत याद आ रही थी सोच रही थी कि लोग सच ही कहते हैं मां से ही मायका होता है


 

 



 



 















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