हमारे घरों की सभी प्यारी प्यारी बेटियों को समर्पित  

 

बिटिया एक अटूट विश्वास है

अंतिम क्षण तक का उजास है

 

बिटिया इस घर आंगन का उल्लास है

घर में बहती गंगा सा आभास है

जब भी मन होता उदास है

तू टटोल लेगी मन ऐसी एक आस है

 

बिटिया एक मीठा सा अहसास है

ये अनमोल पूँजी जिसके पास है

मानो तुरूप का इक्का उसके पास है

शब्दों में न हो बयां ये ऐसा रिश्ता ख़ास है

 

कितनी भी परेशान क्यों ना हो

अपने को जताती बिंदास है

हम अनाथ नहीं है ऐसा आभास है

मन में घुट रही घुटन का निकास है

 

अनकही बातों का लगा लेती कयास है

इसलिए दुआओं का द्वार खुलता अनायास है।

 

ज्ञानवती सक्सैना