दोस्तों..
एक मशविरा दे रही हैं..इस शाम *क़लम-ए-कमल*
ज़िंदगी के दामन में गुल ही नहीं कुछ कांटे भी रखना..!
ज़्यादा शोरगुल भी अच्छा नहीं कुछ सन्नाटे भी रखना..!
रिश्ते हो या प्रीत दोनों कारोबार दिल से ही होते है..!
मुनाफे ही मुनाफे ना देखना कुछ घाटे भी रखना..!
ज्य़ादा सादगी सीधापन भी सदा अच्छा नहीं होता है..!
सरलता के साथ साथ कुछ टेढ़ी वारदातें भी रखना..!
ज्य़ादा सुकून भी मानव को अक्सर नकारा बना देता है..!
ज़िंदगी का मज़ा लेना हो तो बैचेनी वाली रातें भी रखना..!
कमल सिंह सोलंकी
रतलाम मध्यप्रदेश
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