स्पर्धा बिन कौशल कैसा,
मेहनत के बिन प्रतिफल कैसा,
बिना चुनौती हार नहीं है,
बिना परीक्षण के हल कैसा।
इसका हक उसको दे देना,
बहुत चला, अब और चले ना,
अब समदृष्टा बनना होगा,
सूर हाथ का नहीं चबेना,
कुछ पर कृपा, कोप बहुतों पर,
खड़ग चल रहा है हाथों पर,
तुष्टीकरण रेवड़ी फ्री की,
हावी आम सवालातों पर,
विश्व गुरू यदि बनना होगा,
प्रतिभा पूजन करना होगा,
स्वस्थ स्पर्धा के द्वारा ही,
नव विकास पथ चलना होगा,
काम चले ना पाँच गाँव से,
क्या बहलाना हमें छाँव से,
अब महाभारत लड़ना होगा,
भय पिक को क्या काँव काँव से,
समरसता ही प्रजातंत्र है,
प्रतिभा केवल मूल यंत्र है,
सामाजिक शांति का केवल,
समतावादी मूल मंत्र है।
ज्ञानेश कुमार मिश्र
मेहनत के बिन प्रतिफल कैसा,
बिना चुनौती हार नहीं है,
बिना परीक्षण के हल कैसा।
इसका हक उसको दे देना,
बहुत चला, अब और चले ना,
अब समदृष्टा बनना होगा,
सूर हाथ का नहीं चबेना,
कुछ पर कृपा, कोप बहुतों पर,
खड़ग चल रहा है हाथों पर,
तुष्टीकरण रेवड़ी फ्री की,
हावी आम सवालातों पर,
विश्व गुरू यदि बनना होगा,
प्रतिभा पूजन करना होगा,
स्वस्थ स्पर्धा के द्वारा ही,
नव विकास पथ चलना होगा,
काम चले ना पाँच गाँव से,
क्या बहलाना हमें छाँव से,
अब महाभारत लड़ना होगा,
भय पिक को क्या काँव काँव से,
समरसता ही प्रजातंत्र है,
प्रतिभा केवल मूल यंत्र है,
सामाजिक शांति का केवल,
समतावादी मूल मंत्र है।
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