*शिक्षा/शिक्षक वही जो राष्ट्र पर गौरव करना सिखाए*
आखिर शिक्षा क्या है?
क्या शिक्षा का अर्थ केवल विद्यालय जाना है?
या असली शिक्षा का अर्थ, मस्तक के बंद द्वार खोलना है!
क्या शिक्षा का अर्थ केवल पैसों के बदले ज्ञान देना है?
या शिक्षा का अर्थ, विद्यार्थियों में छिपी भावनाओं को व्यक्त करना है!
आखिर शिक्षा क्या है?
*शिक्षा वही हो जो राष्ट्र पर गौरव करना सिखाए*
शिक्षा वही हो जो कीचड़ में भी कमल खिलाना सिखाए!
असली गुरु कौन है? असली शिक्षा क्या हुई?
क्या कलयुग में ऐसा कोई नहीं जो ये राज यह भेद हमें बताएं?
शिक्षा अब बट चुकी है दो हिस्सों में, एक सतयुग की और एक कलयुग की,
अब तो बस पैसों का बोलबाला है,जहां जितना दाम काम उतना ही निराला है!
पढ़ाया जाता है टारगेट देकर अब!पढ़ाया जाता है केवल नौकरी का झांसा देकर अब!
मूल सिद्धांत और सतयुग जैसी शक्ति इस कलयुग की विद्या में अब कहां?
प्रश्न अब भी वही है,आखिर शिक्षा क्या है?
शिक्षित व्यक्ति वह नहीं जो केवल सूट-बूट संग सजे,
शिक्षित व्यक्ति केवल वह नहीं जो शान बान से मोटर गाड़ी में चले!
असली शिक्षित व्यक्ति वह होना चाहिए, जो राष्ट्र का सम्मान बढ़ाए!
असली शिक्षित व्यक्ति वह होना चाहिए जो देश और मातृभूमि के लिए दुश्मन का सर बली चढ़ाए!
आखिर शिक्षा क्या है?
क्या है आखिर असली शिक्षा??
यह बात शायद जब तक समझ आती है,
तब तक मनुष्य के जीवन विद्यार्थी में बड़ी देर हो जाती है।
कृपया अपने बच्चों को अभी से सिखाएं,
उनके मन में केवल नौकरी नहीं,देशभक्ति की भावना जगाए!!
तभी मिलेगी असली शिक्षा तभी मिलेंगे असली गुरु,
देर अभी भी नहीं हुई है वक्त अभी भी नहीं बीता है,
आइए हम सब मिलकर अपने बच्चों को असली शिक्षा दिलाएं,
आइए हम सब मिलकर देश को आगे बढ़ाएं,
आइए हम सब मिलकर इस सवाल की गुत्थी को सुलझाएं,
आखिर शिक्षा क्या है, आइए मिलकर सभी को बताएं,
असली शिक्षा वही जो राष्ट्र का गौरव बढ़ाएं, असली शिक्षा वही जो देश का सम्मान बढ़ाएं, असली शिक्षा वही जो देश को कम नहीं समझे, असली शिक्षा वही जो देश को गौरान्वित कर दे!!
किरन खत्री,उदयपुर
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