दिल 

अगर चाहते हो 
धड़कता रहे दिल 
तो दिल को 
दिल से खुश रखिए 
मुस्कुराते रहिए 
थोड़ा व्यायाम करिए 
प्राणायाम करिए 
और हो सके 
तो अपना काम 
अपने हाथ से करिए 
ना तनाव दीजिए 
ना तनाव लीजिए 
दुआ दीजिए 
दुआ लीजिए
जितना भी गरिष्ठ
भोजन करना है 
सुबह करिए सांझ नहीं 
रात में तो बिल्कुल नहीं 
अपने भोजन को
 खुद ही समझिए 
क्या प्रतिकूल है
क्या अनुकूल 
जानिए  और मानिए 
और हो सके तो 
अपने भोजन को ही 
औषधि बना लीजिए 
और बच्चों सी निर्मल मुस्कान 
मुस्कुरा लीजिए 
विधानाचार्य त्रिलोक जैन 
वर्णी गुरूकुल जबलपुर


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