कड़वा ज़ायका







*कड़वा ज़ायका* 

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सिलबट्टे पर पीसी भावनाएं 

 मजबूरियों को निचोड़ा गया 

एक चम्मच टूटे ख्वाब के टुकड़ों में

मेहनताना चुटकी भर डाला गया 

यूं ही नहीं मेरे अल्फाजों में

 कड़वा जायका पैदा हुआ।

 

मेरे किरदार का स्वाद तीखा 

हसरतो को ढक कर रखा गया 

जिंदगी ने तपाया तेज आंच में 

ऊपर से मर्तबान में दम लगाया गया

यूं ही नहीं मेरी सीरत में

कड़वा ज़ायका पैदा हुआ।

 

मेरे सारे अरमानों को तोड़ा

धोखे के साथ परोसा गया 

नमक मिर्च डाला दुनिया ने

नाम रिवाजों का लगाया गया 

यूं ही नहीं मेरे एहसासों में 

कड़वा ज़ायका पैदा हुआ 

 

गरिमा खंडेलवाल 

उदयपुर







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