मुक्तक सुना है नया चुनाव आया है। प्रजातंत्र में तूफान आया है। रैली के पर सुर्खाब लगे हैं । वायदोंका संसार आया है । सफेद कपड़ो की मांग बढ़ी है। गांधी टोपी सिर चढ़ी है । आसमान कदमों पर होता था। अब तले जमीन खिसकी पड़ी है। गली गली बंदरवार सजे हैं। ढोल नगाड़े जोरो बजे हैं । लगे हैं कोई त्यौहार आया है। जनता के देखो बहुत मजे हैं। नेता जी से मिलने जब जाते। पसीने से सरोबार हो जाते । अब यहां ऊंट पहाड़ के नीचे हैं। हाथ जोड़े जन-जन को लुभाते।। विकास का सपना दिखाते हैं। विकास पीछे खुद भाग जाते हैं। अबकी जो झूठों की बहार है। कुर्सी दौड़ कौन जीत पाते हैं । चंद्र किरण शर्मा, भाटापारा। |
मुक्तक
Featured Post
महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न
उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular
-
चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर जी महाराज की दीक्षा शताब्दी वर्ष पर विशेष चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर जी महाराज पर तिर्यंचोंकृत...
-
स्मित रेखा औ संधि पत्र 'आंसू से भीगे आंचल पर/ मन का सब कुछ रखना होगा/ तुझको अपनी स्मित रेखा से/ यह संधि पत्र लिखना होगा ' कामायनी ...
-
* नैतिक मूल्यों का बढ़ता अवमूल्यन* *डॉ ममता जैन पुणे* ईश्वर द्वारा रची गई सृष्टि की सर्वोत्तम कृति है मानव क्योंकि मानव एक बौद्धिक व ...
-
जैन संतों की चर्या से प्रभावित होकर आज मिसेज यूनिवर्स 2019 सविता जितेंद्र कुम्भार निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीर सागर महाराज जी ससंघके चरणों म...
-
जैन अल्पसंख्यकों का हिंदी साहित्य में योगदान डॉ संध्या सिलावट भारत एक हिन्दू बहुल राष्ट्र है। इसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 199...
No comments:
Post a Comment