प्रेम सदा जिन्दा रहता है अमर है प्रेम दुनियाँ में पुराणों ने जिसे गाया। ऋषी मुनि संत की वाणी विवेकानन्द अपनाया।। वो आखर प्रेम का ढाई कवीरा बोल देता है। पढे जो ध्यान से उसको तो आँखे खोल देता है।। ज़माने की नज़र में वो,बसा बन्दा रहता है। मैट कर नफ़रतों को प्रेम,सदा जिन्दा रहता है।। मुसीवत पार हो हद से मगर विचलित नहीं होता। मोहब्बत की करे खेती वो चद्दर तान कर सोता।। विषैली हो हवा फिरभी सुगन्धित गन्ध फैलाये। न जाती धर्म का वंधन बेर शबरी के खा जाए।। बुरायी हो कहीं इक दिन,वो शर्मिन्दा रहता है। मैट कर नफ़रतों को प्रेम------------------------ प्रेम पूजा तपस्या है प्रेम भगवान का घर है। पिया विष प्रेम का प्याला बनी मीरा दिवाकर है।। कहीं पर रामबोला है कहीं नानक की वानी है। कहीं प्रहलाद ध्रुवतारा अमर हो गयी कहानी है प्रेम है सार जीवन का,पी वो छरछन्दा रहता है। मैट कर नफ़रतों को प्रेम------------------------ राजबीर सिंह"क्रान्ति" धौलपुर---राजस्थान |
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