शास्त्री जी 

शास्त्री जी 
 
शास्त्री जी तुम्हें नमन है
शीश झुकाता ये गगन है 


सत्य से जुड़े विचार थे 
दृढ़ शक्ति के तुम दीवार थे 
वक्त से हार नहीं मानी 
सुंदर भारत के आधार थे 


बचपन गरीबी में बीता 
स्व- विश्वास कभी न रीता 
आई पथ में कई अर्चने
हर युद्ध साहस से जीता 


ईमानदारी तुम्हारी पूंजी थी 
सच्चाई तुम्हारी ऊँची थी 
डिगने नहीं दिया ईमान को  
सफलता तुम्हारी कुंजी थी 


जय जवान-किसान का नारा दिया 
सबको सहारा दिया 
जान फूंकी जनमानस में 
माँ भारती को किनारा दिया 


विजय का डंका बजाया
साड़ी दुनियां को  चौंकाया 
भरम में न रहे दुश्मन 
शक्ति से अपने समझाया 


छोटा कद सोच बड़ी थी 
हर ओर मुसीबत खड़ी थी 
देश के बने जननायक 
विजय के लिए सेना लड़ी थी 


बीच डगर में छोड़ गए 
हमारी राहें मोड़ गए 
गम में डूब गया भारत 
सपने सारे तोड़ गए


श्याम मठपाल, उदयपुर


No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular