.शरद की ये रात.*






.शरद की ये रात.*

 

*आज शरद पूर्णिमा पर्व..आप सभी आत्मीयजनो को इस पर्व की दिल से दिल वाली शुभकामनाएं..इस पर्व का प्रमुख किरदार चांद हैं..तो चांद की शान में कुछ यूॅ कहेंगे हम तो साहब..!*

 

*औरों से रोशनी उधार लेकर,तू यूॅ जमाने पर लुटाता हैं..!*

*तेरे जैसी दरियादिली ये चांद,आज कौन दिखाता है..!*

 

*कहां से सीखा तू ये हुनर,जरा हमें भी बता ये मंयक..!*

*हर एक प्रिय को तुझमें,अपना महबूब क्यों नज़र आता है..!*

 

*हर रोज तू अपना रुप बदलता रहता,सुन जरा वो बहरुपिए..!*

*फिर भी ना जाने क्यों,तू हर एक को हरदम सुहाता हैं..!*

 

*कभी करवा चौथ,कभी ईद,तो कभी शरद की ये रात..!*

*हर एक शुभ अवसर पर,तू अपना सदा नूर बरसाता हैं..!*

 

*कमल सिंह सोलंकी*

*रतलाम मध्यप्रदेश*


 

 



 



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